वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। उनमें मर्यादा पुरुषोत्तम वाले सभी गुण हैं यानी सर्व गुण संपन्न। उनके गुणों का वर्णन इस लेखक के लिए संभव नहीं है। अगर वह करेगा भी तो सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा। निजी एवं सार्वजनिक जीवन दोनों में उन्होंने मर्यादा के उच्चतर मानदंड कायम किए हैं। इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। जब कभी कोई तुलसीदास उनका चरित मानस लिखेगा तो समूचा विश्व आज से भी ज़्यादा भक्तिमय हो जाएगा।
कलियुग के मर्यादा पुरुषोत्तम की जय हो!
- व्यंग्य
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- 7 Feb, 2024

मर्यादा पुरुषोत्तम में कैसे गुण होने चाहिए? एक नेता कैसे मर्यादा पुरुषोत्तम का रूप धरकर सचाई को छिपा रहा है, ये व्यंग्य उसी पर कटाक्ष है।
हालाँकि बहुत से आलोचकों को मर्यादा पुरुषोत्तम के गुण दिखलाई नहीं देते। वे देखना ही नहीं चाहते तो कैसे दिखेंगी? गोदी मीडिया तो दिन रात उनका गुणगान करता रहता है। भक्तगण भी सोशल मीडिया पर उन गुणों की जुगाली करते रहते हैं। मगर मोदियाबिंद के शिकार लोगों के लिए सब बेकार है। वे विष्णु के अवतार को पहचान ही नहीं सकते। बहरहाल, जैसा कि स्वयंसिद्ध है, मर्यादा पुरुषोत्तम में अनगिनत ख़ूबियाँ हैं मगर उनकी जो बात मुझे सबसे अच्छी लगती वो है उनकी निष्कलंक पारदर्शिता, उनकी साफ़गोई।