आज तोताराम अपनी नारायण दत्त तिवारी की तरह 'उम्र की सीमा' को भुलाकर नितांत अप्रत्याशित रूप से युवा हुआ जा रहा था। फटी हुई जींस, छज्जा पीछे की तरफ़ रखते हुए उलटी करके लगाई गई टोपी, धूप का चश्मा, 'क्रुद्ध हनुमाना' छपी टी- शर्ट, बिना मोजों के पहने रंग-बिरंगे जूते।आते ही सीढ़ियों की बजाय सामने से उछलकर बरामदे पर चढ़ा और कमर मटकाकर जोर-जोर से गाने लगा - ईलू-ईलू क्या है?