आज तोताराम अपनी नारायण दत्त तिवारी की तरह 'उम्र की सीमा' को भुलाकर नितांत अप्रत्याशित रूप से युवा हुआ जा रहा था। फटी हुई जींस, छज्जा पीछे की तरफ़ रखते हुए उलटी करके लगाई गई टोपी, धूप का चश्मा, 'क्रुद्ध हनुमाना' छपी टी- शर्ट, बिना मोजों के पहने रंग-बिरंगे जूते।आते ही सीढ़ियों की बजाय सामने से उछलकर बरामदे पर चढ़ा और कमर मटकाकर जोर-जोर से गाने लगा - ईलू-ईलू क्या है?

मोदी का लोकल वोकल भाषण हाल के दिनों में चर्चा में रहा। कोरोना लॉकडाउन के दौरान आत्मनिर्भर भारत को प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया। क्या हैं लोकल वोकल के मायने?
पहले तो हम ध्यान से देखते रहे कि यह प्राणी तोताराम ही है या कोई और? जब कन्फ़र्म हो गया तो उसके प्रश्न का विस्तृत उत्तर दिया। हे बुढ़ापे में युवावस्था की बीमारी से ग्रसित प्राणी, यह 'ईलू-ईलू' एक ऐसी बीमारी है जो प्रायः युवावस्था में होती है किन्तु घर-परिवार वालों का कोई नियंत्रण न हो तो बड़ी उम्र में भी हो सकती है। वैसे तो इसका इलाज़ तभी हो जाता है जब माँ-बाप जेब ख़र्च देना बंद कर देते हैं और सिर पर दो रोटी जुटाने का भार आ पड़ता है। वैसे, यह 1991 में बनी, सुभाष घई द्वारा निर्देशित 'सौदागर' नाम की एक फ़िल्म का गीत है जिसे आनंद बक्षी ने लिखा और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के संगीत निर्देशन में कविता कृष्णामूर्ति, पंकज उदास नहीं उधास, और सुखविंदर सिंह ने गाया है। भारत में आर्थिक सुधार और उदारीकरण के प्रारंभिक समय में आया यह गीत बहुत लोकप्रिय हुआ। इसमें जो मुख्य ध्वनि 'ईलू' है वह 'आई लव यू' का संक्षिप्त रूप है जैसे आजकल बच्चे पूरा शब्द लिखने की बजाय 'आर' माने 'हैं' को केवल 'R' या 'बॉय फ्रेंड' को केवल 'BF' से काम चला लेते हैं। समय और शक्ति की बचत।