प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बीजेपी मुख्यालय में आयोजित पार्टी की प्रेस कॉन्फ़्रेंस से कुछ देर पहले एक न्यूज़ चैनल को दिये चुनावी इंटरव्यू में कहा कि उन्हें प्रज्ञा सिंह ठाकुर के (महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ बताने वाले) बयान पर गहरा दुख है और इसके लिए वह प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कभी मन से माफ़ नहीं कर सकेंगे! लेकिन प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जब प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से पार्टी का उम्मीदवार बनाने के फ़ैसले का सवाल उठा तो प्रधानमंत्री की मौजूदगी में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने जवाब दिया, ‘प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाना ‘भगवा आतंक’ के (आरोप के) ख़िलाफ़ हमारा सत्याग्रह है।’

क्या यह महज संयोग है कि बीते पाँच वर्षों में पहली बार देश के कई हिस्सों में नाथूराम गोडसे की महिमा या पूजा-अर्चना के समारोह आयोजित हुए? ज़्यादा दूर की क्या कहें, अलवर (राजस्थान) और मेरठ (यूपी) तो राष्ट्रीय राजधानी के बिल्कुल पास हैं, जहाँ गोडसे की महिमा में तरह-तरह के कार्यक्रम हुए! दोनों राज्यों में तब बीजेपी सरकार थी, यूपी में आज भी है। केंद्र और राज्य सरकारों का उन घटनाक्रमों पर क्या नजरिया था?