अप्रैल का महीना है और मौसम गर्म होने लगा है। सियासी मौसम भी गर्म है। हर राजनैतिक दल चुनावी रैलियाँ कर रहे हैं और देश को नयी उम्मीदें बेच रहे हैं। यह विचित्र है कि देश की आधी आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है इसके बावजूद किसानों के मुद्दों को राजनेताओं के भाषणों में ढूँढना पड़ रहा है।