राजस्थान में भाजपा ने पहली बार दो उपमुख्यमंत्री बनाये हैं। इसमें से एक दीया कुमारी हैं। दीया कुमारी राजस्थान की पहली महिला उप मुख्यमंत्री हैं। 3 दिसंबर को जब चुनाव के नतीजे आए तब से भाजपा सांसद रही दीया कुमारी सीएम पद की दावेदार बताई जाने लगी।
तब से कयास लगाया जा रहा था कि वह सीएम बन सकती है। सीएम तो नहीं बन सकी लेकिन डिप्टी सीएम बनने में कामयाब रही। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दीया कुमारी कौन हैं? दीया कुमारी ने विद्याधर नगर विधानसभा सीट से बड़ी जीत हासिल की है। उन्हें 1,58,516 वोट मिले।
वह जयपुर राजघराने की राजकुमारी हैं। दीया कुमारी स्वर्गीय ब्रिगेडियर भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। करीब 10 वर्ष पहले उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। वर्ष 2013 में सवाई माधोपुर से विधायक चुनी गई थी। वह वर्ष 2019 में राजसमंद से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बनी थी।
सांसद दीया कुमारी के बारे में उनकी वेबसाइट दीया कुमारी ऑफिशियल डॉट कॉम के मुताबिक 2019 में, दीया कुमारी को लगभग 70 प्रतिशत (5,51,916 वोट) के भारी जीत अंतर के साथ राजस्थान के राजसमंद निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के रूप में चुना गया था।
दीया कुमारी जयपुर के महाराजा सवाई भवानी सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की एकमात्र संतान हैं। उनके नाना-नानी सिरमौर (अब हिमाचल प्रदेश का हिस्सा) के महाराजा और महारानी थे। उनके पिता ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में 10वीं पैराशूट रेजिमेंट के पैरा कमांडो के लेफ्टिनेंट कर्नल और कमांडिंग ऑफिसर के रूप में सेवा दी थी। महावीर चक्र से भी सम्मानित महाराजा सवाई भवानी सिंह ब्रुनेई में भारत के उच्चायुक्त भी थे।
बेहतर उद्ममी और कला पारखी भी हैं दीया कुमारी
वह एक बेहतर उद्यमी भी रही हैं। दीया कुमारी महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट और जयगढ़ किला चैरिटेबल ट्रस्ट की सचिव और ट्रस्टी हैं।
वह कला और संस्कृति की पारखी भी हैं, और पारंपरिक कला, शिल्प, संगीत और नृत्य को सक्रिय रूप से बढ़ावा देती रही हैं।
2013 में दीया कुमारी द्वारा स्थापित प्रिंसेस दीया कुमारी फाउंडेशन व्यावसायिक प्रशिक्षण, शिक्षा और आजीविका सृजन के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने का काम कर रहा है। वह कई गैर सरकारी संगठनों से जुड़ कर परोपकार से जुड़े काम वर्षों से करती रही हैं।
2014 में, उन्हें 'बेटी बचाओ' अभियान के लिए राजस्थान राज्य सरकार के राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। जनवरी 2017 में, दीया कुमारी को परोपकार के क्षेत्र में उनके योगदान और विरासत प्रबंधन में अग्रणी भूमिका के लिए एमिटी विश्वविद्यालय, जयपुर से मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी।
राजकुमारी होते हुए भी आम आदमी से की थी शादी
बात निजी जिंदगी की करे तो एक राजकुमारी होते हुए भी उन्होंने एक आम आदमी से शादी कर सब को चौंका दिया था। चोरी-छिपे उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट नरेंद्र सिंह राजावत से 1994 में कोर्ट में शादी कर ली थी। इसके दो वर्ष बाद जब उन्होंने यह बात अपने परिवार में बताई तो सभी नाराज हो गए। बाद में जब परिवार की रजामंदी मिल गई तो 1997 में भव्य और पारंपरिक तरीके से उनकी शादी हुई थी। शादी के 21 वर्ष बाद उन्होंने 2018 में आपसी सहमति से पति से तलाक भी ले लिया। दिल्ली के मॉर्डन स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उन्होंने लंदन से उच्च शिक्षा ली थी। लंदन से आने के बाद वह राजमहल का अकाउंट डिपार्टमेंट संभाला करती थी, इसी दौरान नरेंद्र सिंह राजावत से उनकी मुलाकात हुई थी। जब दोनों ने शादी का फैसला लिया तो शुरुआत में राजपूत समाज और राजपरिवार काफी नाराज भी था लेकिन बाद में सभी ने इसे स्वीकार किया था। उनके दो बेटे और एक बेटी हैं।
दीया कुमारी की जो बात सबसे खास है वह यह कि राजपरिवार से आने के बाद भी उनकी छवि आम आदमी के साथ हमेशा खड़ी रहने वाली है। यही कारण है कि उन्हें बड़ा जनसमर्थन मिलता रहा है। हाल के वर्षों में वह काफी तेजी से लोकप्रिय हुई हैं। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए ही भाजपा ने उन्हें राजस्थान की पहली महिला उप मुख्यमंत्री बनाया है।
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