उदयपुर में दर्जी की हत्या की देश के तमाम प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने निन्दा की है। इसमें इम्पार से लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान तक शामिल हैं। मंगलवार को उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की दुकान में घुसकर दो आरोपियों ने उसकी हत्या कर दी और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। इस घटना की चौतरफा निन्दा हो रही है।
इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स (इम्पार) के अध्यक्ष डॉ एम. जे. खान ने कहा है कि उदयपुर में धर्म के नाम पर दो धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा किए गए अपराध के जघन्य कृत्य को देखना बेहद दर्दनाक और घृणित है। IMPAR धार्मिक कट्टरता के ऐसे कृत्यों की निंदा करता है और मांग करता है कि पुलिस को ऐसे चरमपंथियों और कट्टरपंथियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जो सहानुभूति के पात्र नहीं हैं। सभ्य समाज में ऐसे अपराधियों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। धर्म के नाम पर इस तरह के अमानवीय अपराध करने वाले इन धार्मिक चरमपंथियों को वास्तव में उस धर्म में कोई समझ या विश्वास नहीं है, जो सहिष्णुता और क्षमा सिखाता है। पैगंबर साहब का जीवन ही करुणा और क्षमा के उदाहरणों से भरा है।
उन्होंने कहा धर्म के तथाकथित अनुयायी असहिष्णुता और उग्रवाद का बदसूरत चेहरा दिखाते हैं, और खुद धर्म के नाम पर ऐसे अपराध करते हैं या जिसे वे ईशनिंदा मानते हैं। वे वास्तव में धर्म के सबसे बड़े दुश्मन हैं और बहुसांस्कृतिक समाज में रहने के योग्य नहीं हैं। देश को धार्मिक कट्टरता और सभी प्रकार के अतिवाद के खिलाफ उठने का समय आ गया है। ऐसे धर्मांधों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए, जो समाज को चैन से जीने नहीं देंगे। यह ऐसी शिक्षण सामग्री और ऐसे संस्थानों के कामकाज की समीक्षा करने का भी समय है, जो अतिवाद का प्रचार कर रहे हैं और इस तरह की मानसिकता पैदा कर रहे हैं, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
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यह भारत और दुनिया भर के मुसलमानों के लिए भी मूल कारण को समझने और इस्लाम के कट्टर वहाबी रूप के खिलाफ उठने का समय है, जिसे वैश्विक शक्तियों के इशारे पर बनाया और निर्यात किया गया है। चरमपंथी विचारधारा का पालन करने वाले अपने एक छोटे से वर्ग के लिए मुस्लिम समुदाय ने पर्याप्त कीमत चुकाई है।
-डॉ एम.जे. खान, अध्यक्ष, इम्पार (इंडियन मुस्लिम्स फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स )
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने उदयपुर की घटना को इस्लाम और देश के कानून के खिलाफ बताया। जमीयत के महासचिव मौलाना हलसीमुद्दीन कासमी ने कहा कि जाहिर तौर पर पैगंबर के अपमान के बहाने यह हत्या की गई है लेकिन यह कानून और इस्लाम धर्म दोनों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया है उसे किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। , यह देश के कानून और हमारे धर्म के खिलाफ है। हमारे देश में कानून की व्यवस्था है, किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। मौलाना कासमी ने देश के सभी नागरिकों से अपनी भावनाओं पर संयम रखने और शांति बनाए की अपील की।
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भारत के मुसलमान देश में कभी भी 'तालिबानीकरण' की मानसिकता को सामने नहीं आने देंगे। कोई भी धर्म मानवता के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है। विशेष रूप से इस्लाम धर्म में, सभी शिक्षाएं शांति के स्रोत के रूप में कार्य करती हैं।
-जैनुल आबेदीन अली खान, दीवान, अजमेर शरीफ दरगाह, अजमेर (राजस्थान)
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के महासचिव हजरत मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा, किसी भी धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करना एक गंभीर अपराध है। इस अपराध के खिलाफ सरकार की निष्क्रियता हमारे घावों पर नमक छिड़कने के अलावा और कुछ नहीं है। लेकिन इसके बावजूद, किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और किसी को अपराधी घोषित करना और फिर उनकी हत्या करना अत्यंत निंदनीय कार्य है।
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न तो कानून और न ही इस्लामी शरिया इसकी अनुमति देते हैं। पर्सनल लॉ बोर्ड उदयपुर में नृशंस हत्या की घटना की कड़ी निंदा करता है।
-मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी, महासचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
दिल्ली की शाही जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी उदयपुर की घटना की निन्दा करते हुए इसे इस्लाम विरोधी करार दिया। उन्होंने बुधवार को कहा कि हत्या करने वाले आरोपी अगर सोच रहे हैं कि इससे पैगंबर खुश होंगे तो ये ऐसे तमाम लोगों की गलतफहमी है। कुरान और हदीस की रोशनी में इन चीजों को समझना होगा। जिस शख्स की हत्या उदयपुर में की गई, उसके पास खुद की आत्मरक्षा के लिए कोई हथियार तक नहीं था। निहत्थे व्यक्ति को इस तरह मार देना कायरता के अलावा और कुछ नहीं है।
एआईएमआईम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को घटना के फौरन बाद अपना विरोध दर्ज कराया था और निन्दा की थी। ओवैसी ने कहा कि किसी भी समुदाय या धर्म की धर्मान्धता को नियंत्रित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बहुत दुखद हालात हैं। मैं यहां आराम से बैठकर उस गरीब दर्जी के साथ जो हुआ उसकी निंदा नहीं कर सकता। राजस्थान में कुछ साल पहले या जयपुर में जो कुछ हुआ उसकी निंदा की जानी चाहिए। कट्टरता को नियंत्रित करना होगा।
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हमारे देश में हो रहे कट्टरपंथ पर नजर रखने के लिए गृह मंत्रालय में एंटी-रेडिकलाइजेशन सेल हर धर्म के लिए होना चाहिए, न कि केवल एक विशेष धर्म के लिए।
-असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईम प्रमुख
ओवैसी ने कहा, बहरहाल, इसकी स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए। यह एक भीषण भयानक अपराध है जो इन लोगों ने किया है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने और इस तरह की बकवास करने का अधिकार नहीं है जो कि बर्बर है।
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