राजस्थान के अलवर में 300 साल पुराने एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया है। इस मामले में बीजेपी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने आ गए हैं। राजस्थान के करौली में कुछ दिन पहले सांप्रदायिक हिंसा हुई थी और इसे लेकर भी राजस्थान की गहलोत सरकार और विपक्ष में बैठी बीजेपी के बीच जमकर जुबानी जंग हुई थी। अलवर में मंदिर तोड़े जाने की यह घटना 17 अप्रैल को हुई थी।
हिंदू संगठनों के नेताओं का कहना है कि कुल 3 मंदिरों को गिराया गया है और इससे हिंदू धर्म के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा है कि यह औरंगजेबी हमला है और ऐसा करके कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को खुश करने की कोशिश की है।
खाचरियावास ने कहा कि स्थानीय राजगढ़ नगर पालिका में बीजेपी का बोर्ड है लेकिन लोगों के विरोध के बाद भी मंदिर को तोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि वहां के कांग्रेस विधायक ने मंदिर को तोड़े जाने का विरोध किया था।
6 अप्रैल को राजगढ़ के नगर पालिका बोर्ड ने 86 लोगों को अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर नोटिस जारी किया था। इसके बाद स्थानीय लोग इस मामले में विधायक जौहरी लाल मीणा के पास भी गए थे।
बीजेपी ने मामले में आक्रामक होते हुए 5 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया है और यह कमेटी इस मामले में अपना फीडबैक देगी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पूछा है कि क्या अकेला पालिका बोर्ड ही अतिक्रमण को तोड़ने का फैसला करता है?। उन्होंने कहा कि प्रशासन, सरकार, अधिकारी और पूरी प्रक्रिया के आधार पर ऐसे फैसले लिये जाते हैं।
हिंदू संगठनों ने दी शिकायत
हिंदू संगठनों ने इस मामले में पुलिस में दी शिकायत में कहा है कि राजगढ़ के विधायक जौहरी लाल मीणा, एसडीम केशव कुमार मीणा और नगर पालिका के ईओ बनवारी लाल मीणा ने दंगे भड़काने की कोशिश की है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। पुलिस ने अभी इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है। हालात को देखते हुए पुलिस अफसर पूरे मामले पर निगाह रख रहे हैं।
बता दें कि बीते कुछ दिनों में रामनवमी के मौके पर निकले जुलूस के दौरान कई राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश के खरगोन और दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर से अतिक्रमण हटाए जाने को लेकर देश भर की सियासत गर्म रही है।
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