राज्यसभा के चुनाव को लेकर 10 जून को वोटिंग होनी है। उससे पहले कांग्रेस ने राजस्थान के अपने विधायकों को सुरक्षित जगह पर भेज दिया है। इन विधायकों को उदयपुर के एक रिजॉर्ट में ठहराया गया है।
राजस्थान में कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों और मंत्रियों से शुक्रवार शाम तक उदयपुर के एक रिजॉर्ट में पहुंचने के लिए कहा था। लेकिन राजस्थान सरकार में सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा और पांच विधायक ऐसे हैं जो रिजॉर्ट में नहीं पहुंचे हैं।
गहलोत पर हमला
राजेंद्र गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमला भी किया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बातें बहुत करते हैं लेकिन यह बेहतर होगा कि बोलने के बजाय वह कभी बैठ कर चिंतन करें। राजेंद्र गुढ़ा बीएसपी के 5 अन्य विधायकों के साथ 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
बीएसपी से कांग्रेस में आए कुछ विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से नाराजगी जताते रहे हैं और निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए यह राज्यसभा चुनाव में मुश्किल की वजह बन सकते हैं। हालांकि कांग्रेस ने कहा है कि बीएसपी के सभी विधायक कांग्रेस के साथ हैं और अब वह कांग्रेस के विधायक हैं।
बीएसपी ने फंसाया पेच
इसी बीच बीएसपी की ओर से राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा और विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को एक पत्र लिखकर कहा गया है कि कांग्रेस में शामिल हुए बीएसपी के 6 विधायकों को राज्यसभा चुनाव में वोटिंग करने से रोक दिया जाए। क्योंकि कांग्रेस में उनके शामिल होने का मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
राजस्थान में 4 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं जबकि बीजेपी की ओर से घनश्याम तिवारी और बीजेपी समर्थित सुभाष चंद्रा चुनाव मैदान में हैं।
क्या है राजस्थान का गणित?
200 सीटों वाली राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के पास 108 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 71 विधायक हैं। राज्यसभा के 1 उम्मीदवार को जिताने के लिए 41 वोटों की जरूरत है।
विधायकों के आंकड़ों के लिहाज से कांग्रेस राजस्थान में राज्यसभा की 2 सीटें आसानी से जीत सकती है जबकि तीसरी सीट जीतने के लिए उसे 15 और विधायकों की जरूरत होगी। दूसरी ओर बीजेपी एक उम्मीदवार को जिता सकती है और दूसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए उसे 11 वोटों की जरूरत होगी।
राजस्थान में 13 निर्दलीय विधायक हैं और 8 विधायक छोटी पार्टियों के हैं। कांग्रेस के पास 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।
छोटी पार्टियों में भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास दो, सीपीआईएम के पास दो, आरएलडी के पास एक और आरएलपी के पास 3 विधायक हैं। निश्चित रूप से निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों पर सभी की नजर है क्योंकि वह चुनाव में बड़ा खेल कर सकते हैं। भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायकों का रूख भी अभी साफ नहीं है।
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