कांग्रेस के बाग़ी नेता सचिन पायलट सोमवार रात को मीडिया के सामने आए और खुलकर अपनी बातें कहीं। इससे पहले उनकी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान उनसे समर्थक विधायक भी मौजूद रहे।
राहुल और प्रियंका से मुलाक़ात के बाद पायलट ने पत्रकारों से कहा, ‘पार्टी पद देती है, पार्टी पद ले भी सकती है। पद की बहुत लालसा नहीं है, लेकिन मैं चाहता था कि जो मान-सम्मान, स्वाभिमान की बात हम लोगों ने की थी वो बनी रहे।’
पायलट ने कहा, ‘जिन लोगों ने मेहनत करके राजस्थान सरकार को बनाया है, उनकी हिस्सेदारी, भागीदारी को सुनिश्चित किया जा सके। मुझे खुशी है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने एक कमेटी का गठन किया है। इस क़दम का स्वागत किया जाना चाहिए।’
वादों को पूरा करना होगा
पायलट ने कहा, ‘जब हम चुनाव जीतकर आए थे, तब कांग्रेस हाईकमान ने गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया था। मैं आज भी इस बात पर कायम हूं कि जो पार्टी और सरकार के हित में था, उसे मैंने सामने रखा है। हमारा जवाबदेही बनती है कि हम कैसे अपने वादों को पूरा करें।’
गहलोत द्वारा किए गए जुबानी हमलों को लेकर पायलट ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने समय देने के लिए कांग्रेस आलाकमान को धन्यवाद दिया। पायलट ने उम्मीद जताई कि समस्याओं का समाधान होगा।
वेणुगोपाल ने कहा कि इस बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 3 सदस्यों वाली एक कमेटी गठित करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह कमेटी पायलट और असंतुष्ट विधायकों के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देगी और इस विवाद का सही समाधान निकालेगी।
पायलट के मान जाने के बाद बीजेपी ने राजस्थान में अपनी सरकार बनाने के जो मंसूबे पाले हुए थे, वे अब पूरे नहीं हो पाएंगे।
गहलोत ने दिखाया दम-खम
इस पूरे सियासी संकट के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार इस बात का दावा करते रहे कि उनकी सरकार के पास 102 विधायकों का समर्थन है। गहलोत ने अपने विधायकों की किलेबंदी को मजबूत रखा और कहीं से भी यह ज़ाहिर नहीं होने दिया कि पायलट की बग़ावत के कारण उनके हौसले ढीले पड़े हैं।
विधानसभा सत्र बुलाने में देरी होने पर राजभवन को घेर लेने की धमकी देने वाले गहलोत ने राज्यपाल को मजबूर किया कि वे सत्र बुलाएं। इस बीच, गहलोत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और अधिवक्ताओं के साथ मिलकर अदालतों मे भी लड़ाई लड़ते रहे।
कांग्रेस आलाकमान का भी गहलोत को पूरा सहयोग मिला और वे भी आलाकमान को यह भरोसा दिलाने में सफल रहे कि लाख मुसीबतों के बाद भी वे अपनी सरकार को बचाने का माद्दा रखते हैं।
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