राजस्थान सरकार ने कहा है कि वह
पहलू ख़ान मामले की फिर जाँच कराएगी और इसके लिए एक विशेष जाँच टीम (एसआईटी) का गठन किया जाएगा। अलवर ज़िले में गाय ख़रीद कर घर ले जा रहे 55 वर्षीय किसान पहलू ख़ान को कुछ गोरक्षकों ने बुरी तरह पीटा, बाद में अस्पताल में उनकी मौत हो गई। लेकिन ज़िला अदालत ने इस मामले में सभी 6 अभियुक्तों को बरी कर दिया। इस मामले पर कई तरह के सवाल उठे तो राज्य सरकार मामले की जाँच फिर कराने को राजी हो गई।
मुख्य मंत्री अशोक गहलोत ने एक ट्वीट कर कहा कि उनकी सरकार ने मॉब लिन्चिंग रोकने के लिए क़ानून इसी महीने बनाया है और वे पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कृतसंकल्प हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करेगी।
राजस्थान के इस नए क़ानून के मुताबिक़, मॉब लिन्चिग में दोषी पाए गए लोगों को उम्रक़ैद तक की सज़ा हो सकती है और उन पर 5 लाख रुपये तक का ज़ुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पहलू ख़ान के परिवार के वकील का आरोप
पहलू ख़ान के परिवार के वकील एडवोकेट क़ासिम ख़ान ने कहा, ‘वीडियो सबूत अदालत में स्वीकार्य नहीं थे क्योंकि अदालत में सबूत के रूप में उन्हें पेश करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था। लेकिन जाँच के दौरान पुलिस द्वारा इसका पालन नहीं किया गया और इसी कारण सभी छह अभियुक्त बरी हो गए।’
अदालत की फटकार
बुधवार को अपने फ़ैसले में अदालत ने सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ दिया था, लेकिन यह भी कहा कि राजस्थान पुलिस की जाँच में गंभीर कमियाँ थीं। अदालत इस निष्कर्ष पर भी पहुँची कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किया गया एक अन्य वीडियो भी संदिग्ध हो गया जब तीन महत्वपूर्ण गवाह मुकर गए।फ़ैसले में अदालत ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस को भी फटकार लगाते हुए कहा कि इसने जाँच अधिकारी की ओर से ‘गंभीर लापरवाही’ दिखाई। इसमें कहा गया है कि जाँच अधिकारी ने पहलू ख़ान के बयान को 16 घंटे बाद थाने में दिया, यह बड़ी लापरवाही है।अदालत ने यह भी नोट किया कि जाँच अधिकारी ने अस्पताल में ख़ान के बयान को दर्ज करने से पहले डॉक्टरों से इस बात का प्रमाण पत्र नहीं लिया था कि वह अपना बयान दर्ज कराने की स्थिति में हैं या नहीं।
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