राजस्थान के जालौर में दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल की पिटाई के बाद कांग्रेस में कई नेता लगातार इस्तीफे दे रहे हैं। राजस्थान की बारां नगर पालिका परिषद से कांग्रेस के 12 पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफे की कॉपी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजी है और कहा है कि राज्य में दलितों के साथ अत्याचार हो रहा है। बताना होगा कि कुछ दिन पहले बारां अटरू सीट से कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने इसी मुद्दे पर इस्तीफा दे दिया था।
बता दें कि दलित छात्र इंद्र कुमार मेघवाल को छैल सिंह नाम के एक शिक्षक ने सिर्फ इसलिए पीटा था क्योंकि उस बच्चे ने शिक्षक के मटके से पानी पी लिया था। बच्चे की उम्र सिर्फ 9 साल थी। यह मटका कथित तौर पर शिक्षक के पानी पीने के लिए अलग से रखा गया था।
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर शिक्षक के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। बारां नगर पालिका परिषद में कांग्रेस के 25 पार्षद हैं और इसमें से 12 पार्षदों के इस्तीफे को एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस्तीफ़ा देने वालों में रोहिताश्व सक्सेना, राजाराम मीणा, रेखा मीणा, लीलाधर नागर, हरिराज एरवाल, पीयूष सोनी, उर्वशी मेघवाल, यशवंत यादव, अनवर अली, ज्योति जाटव, सुरेश महावर और मयंक मथोदिया शामिल हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस्तीफा भेजने के बाद इन सभी पार्षदों ने कोटा के विभागीय आयुक्त को भी अपना इस्तीफा भेज दिया है।
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बच्चे के घर पहुंचे कांग्रेस नेता
राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट मंगलवार को दलित छात्र के घर पर पहुंचे और कहा कि इस मामले में आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। पायलट के अलावा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, महिला बाल कल्याण मंत्री ममता भूपेश, पीडब्ल्यूडी मंत्री भजन लाल जाटव, आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल पीड़ित छात्र के घर पर पहुंचे। कांग्रेस पार्टी की ओर से बच्चे के परिजनों को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है।
पायलट ने कहा कि पीड़ित के परिवार पर जिन पुलिस वालों ने लाठीचार्ज किया है उनके खिलाफ सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे के परिवार वालों की जान को खतरा है और सरकार को उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। पायलट ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।
इस मामले में बीजेपी और बीएसपी ने भी कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गहलोत सरकार व कांग्रेस नेताओं ने कहा है कि इस मामले में जल्द से जल्द जांच पूरी होगी।
इससे पहले कांग्रेस के विधायक पानाचंद मेघवाल ने इस्तीफ़ा देते वक्त कहा था कि जब हम लोग अपने समाज के हक की रक्षा करने और उन्हें इंसाफ दिलवाने में नाकाम हैं तो हमें पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। विधायक ने लिखा था कि प्रदेश में दलितों और वंचितों को मटके से पानी पीने के नाम पर तो कहीं घोड़ी पर चढ़ने और मूंछ रखने के नाम पर घोर यातनाएं देकर मौत के घाट उतारा जा रहा है।
विधायक मेघवाल ने लिखा था कि दलितों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है और कई बार ऐसे मामलों को विधानसभा में उठाने के बाद भी पुलिस प्रशासन हरकत में नहीं आया।
जालौर की इस घटना पर कांग्रेस के अंदर अभी और इस्तीफ़े हो सकते हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी पार्टी नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। देखना होगा कि क्या गहलोत सरकार पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द न्याय दिला पाती है या नहीं।
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