भंवरी देवी हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त की बेटी को राजस्थान विधानसभा चुनाव का टिकट देकर कांग्रेस पार्टी बुरी तरह फँस गयी है। पार्टी अध्यक्ष पर निशाना साधा जा रहा है और कांग्रेस इस मामले से न बाहर निकल पा रही है और न ही इसे उचित ठहरा रही है।
कांग्रेस ने ओसियाँ विधानसभा क्षेत्र से दिव्या मदेरणा को टिकट दिया है। उनके पिता महिपाल मदेरणा बहुचर्चित भंवरी देवी हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त हैं और बीते सात साल से जोधपुर जेल में बंद हैं।
भंवरी का भंवर
साल 2011 में असिस्टेंट नर्स व मिडवाइफ़ भंवरी देवी को राज्य सरकार के मंत्री महिपाल मदेरणा के साथ आपत्तिजनक स्थिति में तस्वीर को कई टेलीविज़न चैनलों ने दिखाया था। इस पर खूब राजनीति हुई, विपक्ष ने सरकार को जम कर आड़े हाथों लिया और कई दिनों तक यह मामला सुर्खियों में रहा।
अपहरण और हत्या
इसके बाद भंवरी देवी का अपहरण हो गया। उनकी हत्या कर दी गई, उनकी लाश को जला दिया गया और उसके अवशेष एक नहर से बरामद हुए। इस पर बहुत फ़जीहत होने के बाद राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने लाश के अवशेष भंवरी देवी के होने की पुष्टि कर दी। सीबीआई ने 2 दिसंबर 2011 को महिपाल मदेरणा को गिरफ़्तार कर लिया। उन पर अपहरण और हत्या का मुक़दमा शुरू हुआ।
राहुल गांधी के साथ दिव्या मदेरणा
दिव्या मदेरणा ने 19 नवंबर को नामांकन का पर्चा भरा और अपने फ़ेसबुक पेज पर दावा किया है कि इस मौके पर हज़ारों की तादाद में लोग उनके साथ गये थे। फ़ेसबुक पर दिव्या ने जो प्रोफ़ाइल पिक्चर लगायी है, उसमें वे राहुल गांधी के साथ दिख रही हैं। इससे यह भी ज़ाहिर होता है कि राहुल गांधी उन्हें जानते हैं। कम से कम उन्हें इसकी जानकारी तो है ही दिव्या को उम्मीदवार बनाया गया है।
कौन हैं मलखान बिश्नोई?
भंवरी देवी हत्याकांड मामले के एक और अभियुक्त मलखान बिश्नोई हैं। वे उस समय लूनी से विधायक थे। वे भी फ़िलहाल जेल में हैं। राजस्थान कांग्रेस ने उनके बेटे महेंद्र सिंह बिश्नोई को लूनी से अपना उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने भी पर्चा भर दिया है और चुनाव प्रचार में जुट गए हैं।
आख़िर क्यों?
कांग्रेस पार्टी ने इन दोनों को टिकट देकर अपने लिए ही मुसीबत मोल ले ली है। मदेरणा जाट समुदाय के हैं, जिनकी पूरे सूबे में जनसंख्या 15 प्रतिशत के आस पास है। बिश्नोई भी वहां की प्रभावशाली जाति मानी जाती है। लिहाज़, उन्हें टिकट देने का सियासी कारण समझा जा सकता है। पर महिला अधिकारों की रक्षा करने का दम भरने वाली पार्टी को यह तो बताना होगा कि आख़िर इन्हें ही टिकट क्यों? यह एक तरह से भंवरी देवी की हत्या के अभियुक्तों को पुरस्कार देने जैसा है। जिस समय यह कांड हुआ था, राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे और इस बार भी उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मदेरणा और बिश्नोई दोनों से ही उनके नज़दीकी के रिश्ते थे। उन्होंन सीबीआई को मामला सौंपने में काफ़ी हीला हवाला भी किया था। मीडिया के शोर मचाने और राजनीतिक नुक़सान दिखने पर उन्होंने मामला सीबीआई को सौंपा था।
महिला सहकर्मियों के यौन शोषण के मामले में फँसे केंद्रीय मंत्री एम जे अकबर से इस्तीफ़े की माँग करने वाली कांग्रेस भंवरी हत्याकांड के अभियुक्तों के बेटे-बेटी को टिकट देने के मुद्दे पर चुप है।
यह आरोप लग ही सकता है कि महिलाओं के मामले में कांग्रेस पार्टी संवेदनशील न पहले थी और न ही अब है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि राहुल गांधी इस पर चुप क्यों हैं। वे यह नहीं कह सकते कि दिव्या मदेरणा को नहीं जानते। राहुल गांधी विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के उम्मीदवारो के लिए प्रचार करने राजस्थान ज़रूर जाएंगे। वे लूनी और ओसियाँ जाएंगे या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा।
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