गोरक्षा के नाम पर हुई मॉब लिंचिंग के कारण चर्चा में आए अलवर ज़िले में इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अच्छा-खासा नुक़सान हुआ है। पार्टी को यहाँ 2013 में 9 सीटें मिली थी लेकिन इस बार यह संख्या 2 पर आकर रुक गई। अलवर ज़िले में पिछले साल गोरक्षा के नाम पर मेवात के रहने वाले पहलू ख़ान और इस साल रक़बर ख़ान की हत्या कर दी गई थी।
अलवर ज़िले में बीजेपी इस बार सिर्फ़ अलवर (शहर) और मुंडावर सीट को बचा पाई जबकि तिजारा, किशनगढ़ बास, बहरोर, बांसुर, थंगाजी, अलवर(ग्रामीण), काठुमार और राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा।
अलवर हरियाणा की सीमा से लगता हुआ ज़िला है और यहाँ बड़ी संख्या में दूध का काम करने वाले किसान रहते हैं। एक किसान ने बताया कि गोरक्षकों के डर के कारण गायों को लाना बहुत कठिन हो गया है और इससे हमारा जीवन प्रभावित हो रहा है।
खेतों में आवारा जानवरों के घुस जाने के कारण भी यहाँ के किसान बहुत परेशान हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि उन्हें रात को टॉर्च और डंडा लेकर पहरा देना पड़ता है कि कहीं कोई जानवर खेतों में न घुस जाए। किसानों का कहना है कि बीजेपी ने उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया।
गोरक्षकों के कारण अलवर में बीजेपी ने खाई मात
- राजस्थान
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- 28 Mar, 2020
अलवर ज़िले में इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नुक़सान हुआ है। पार्टी को यहाँ 2013 में 9 सीटें मिलीं थी, जो इस बार 2 पर आ कर सिमट गई। भरतपुर में पार्टी को इस बार कोई सीट नहीं मिली।
