राजस्थान में अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ सचिन पायलट का अब तक का हर दांव ग़लत साबित हुआ है। गहलोत को साल 2018 में विधानसभा चुनाव न लड़ने देने का मामला हो या चुनाव जीतने के बाद विधायक दल के नेता का चयन गुप्त मतदान की पद्धति से न होना हो, हर दांव में गहलोत ने बाजी मारी और चुनाव में जीत के बाद एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर काबिज हो गए थे।

राजस्थान में अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ सचिन पायलट का अब तक का हर दांव ग़लत साबित हुआ है।
राजस्थान में ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी न दी जाए। यह समीकरण उस समय भी फेल हुआ था जब परसराम मदरेणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे और उनके नेतृत्व में ही राज्य में चुनाव लड़ा गया लेकिन जब मुख्यमंत्री बनने की बारी आयी तो गहलोत ने बाजी मारी।