राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि ‘ऑपरेशन कमल’ सत्ता का खुला दुरुपयोग है और यह घमंड की राजनीति का परिचायक भी है। उन्होंने यह बात सामना के कार्यकारी संपादक और राज्यसभा सदस्य संजय राउत को दिए गए साक्षात्कार के तीसरे एपिसोड में कही। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बल पर राज्यों में जनता द्वारा चुनी गयी सरकारों को अस्थिर करने का जो खेल खेला जा रहा है वह बहुत घातक है। महाराष्ट्र में ‘ऑपरेशन कमल’ किसी भी परिस्थिति में सफल नहीं होगा। पहले तीन महीने में सरकार गिरा देने की बात करते थे, फिर छह महीने में और अब कहते हैं आने वाले दिनों में गिरा देंगे। लेकिन महाराष्ट्र की सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
पवार ने कहा कि सत्ता आपको जनता ने दी है, इसे मर्यादा से चलाना चाहिए न कि दर्प और घमंड से। उन्होंने कहा कि मुझे अच्छी तरह से याद है जब मैं मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री था और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री। उस समय प्रधानमंत्री द्वारा जब मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाई जाती थी तो भारतीय जनता पार्टी शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री अपनी अलग बैठक करते थे और मोदी उसकी अध्यक्षता करते थे। वह कहते हैं, ‘मैं उस बैठक का विरोध नहीं करता, लेकिन उन बैठकों में मोदी जिस तरह से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में बयान दिया करते थे वह सोचने की बात है। बाद में मुख्यमंत्री परिषद में आकर अपने सवाल भी रखते थे, यह उनका अधिकार है। लेकिन आज क्या हो रहा है? आज कोई भी ग़ैर भाजपाई मुख्यमंत्री क्या प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ इस तरह का स्टैंड ले रहा है?’
पवार ने कहा कि मनमोहन सिंह ने कभी उनके बयानों की वजह से गुजरात के हितों या वहाँ के विकास कार्यों में कोई बाधा नहीं पहुँचाई। उन्होंने कहा, ‘मैं कृषि मंत्री था और गुजरात में कृषि उपज कैसे बढ़ाई जाए इसके लिए मैंने स्वयं वहाँ मोदी के साथ कई बार दौरा किया। उस समय कांग्रेस के कई मंत्रियों ने बैठक में यह सवाल उठाया था कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ ऐसे बयान देते हैं और कृषि मंत्री गुजरात के दौरे करते हैं।’ पवार ने कहा कि ऐसे सवालों पर मनमोहन सिंह ने जवाब दिया था, हम सब यहाँ हिन्दुस्तान के विकास के लिए बैठे हैं, शरद पवार जो कर रहे हैं वह ठीक है।
मनमोहन सिंह सरकार की नीतियाँ और आज की सरकार की नीतियाँ हम देख रहे हैं। आज जो चल रहा है वह है, इस सरकार को गिराओ, उस सरकार को गिराओ, अब राजस्थान में सरकार कैसे गिराई जा सकती है इस पर भी समीकरण और जोड़ तोड़ का खेल खेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इंदिरा गाँधी के ऊपर भी सरकारों को गिराने के आरोप लगते हैं लेकिन 1977 के बाद 1980 में इंदिरा गाँधी को देश की जनता ने हर राज्य में भरपूर समर्थन के साथ केंद्र की सत्ता में बिठाया था। इंदिरा गाँधी ने उसी समर्थन की बात कहकर राज्य सरकारों को बर्खास्त किया था, लेकिन आज ऐसी स्थिति नहीं है। आज आप सत्ता में हैं और उसके बावजूद आप राज्यों में हार रहे हैं इसका मतलब यह नहीं कि हारने के बाद वहाँ की सरकारों को गिरा दिया जाए। एनसीपी नेता ने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का आज़ादी के आंदोलन से लेकर देश के नवनिर्माण में बड़ा योगदान रहा। इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी ने देश के लिए बलिदान दिया।
शरद पवार ने कहा, ‘सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी या प्रियंका गाँधी आज कांग्रेस पार्टी को बढ़ाने के लिए जो काम कर रहे हैं और आपकी नीतियों का विरोध कर रहे हैं उसका मतलब यह तो नहीं कि आपके हाथ में सत्ता है आप उन्हें परेशान करें! लेकिन आज प्रियंका गांधी को दिल्ली छोड़कर लखनऊ में रहने जाना पड़ रहा है यह कहाँ तक उचित है? देश के पूर्व प्रधानमंत्री को दिल्ली में एक घर दिया गया रहने के लिए उसे निरस्त कर देना, इसमें कोई समझदारी वाली बात नहीं है।’
वह पूछते हैं कि क्या यह सिर्फ़ इसलिए कि वे आपकी पार्टी के ख़िलाफ़ हैं? वह कहते हैं कि सत्ता मर्यादा से चलाई जानी चाहिए और लोकतंत्र में सभी को अपने विचार और राजनीति करने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
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