राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन ने कहा है कि कांग्रेस के विधायकों का विधायक दल की बैठक में ना आना निश्चित रूप से अनुशासनहीनता है और पार्टी इस मामले को देखेगी। बताना होगा कि रविवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी लेकिन कांग्रेस के विधायक इस बैठक में नहीं पहुंचे और कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर चले गए। वहां से बड़ी संख्या में विधायक स्पीकर सीपी जोशी के पास गए और 92 विधायकों ने विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया।
अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे पर्यवेक्षक बनकर राजस्थान पहुंचे थे।
निश्चित रूप से राजस्थान कांग्रेस के अंदर चल रही अंतरकलह इससे पूरी तरह सामने आ गई है और पार्टी के लिए इस संकट से पार पाना बेहद मुश्किल हो गया है। राजस्थान में कांग्रेस के पास जो 108 विधायक हैं उसमें से बड़ी संख्या में विधायक अशोक गहलोत के खेमे के हैं।
माकन ने कहा कि कांग्रेस विधायकों कि ओर से यह भी शर्त रखी गई कि वह एक-एक कर पर्यवेक्षकों से नहीं मिलेंगे बल्कि समूह में आकर मिलेंगे।
इसके अलावा एक और शर्त विधायकों ने यह रखी कि साल 2020 में कांग्रेस में जो बगावत हुई थी उस वक्त जो विधायक अशोक गहलोत के साथ थे, उन्हीं विधायकों में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए और सचिन पायलट या उनके खेमे में से किसी को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए।
माकन ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस विधायकों को इस बात का भरोसा दिलाया कि वह उनकी सभी बातों को कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखेंगे। माकन ने कहा कि विधायकों के नुमाइंदे इस बात के लिए जोर देते रहे कि इन सभी बातों को विधायक दल की बैठक में पास होने वाले प्रस्ताव का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। माकन ने कहा कि पिछले 75 सालों में कभी भी शर्तों के साथ प्रस्ताव पास नहीं किया गया है और हमेशा से एक लाइन का प्रस्ताव पास होता है।
माकन ने कहा कि आज जो प्रस्ताव अशोक गहलोत रखेंगे और कल जब वह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे तो वह अपने ही प्रस्ताव के ऊपर फैसला करें, ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि वह और मल्लिकार्जुन खड़गे विधायकों का इंतजार करते रहे लेकिन विधायक नहीं आए और अब वे लोग वापस दिल्ली जा रहे हैं और पूरी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेंगे।
अजय माकन ने पत्रकारों को बताया कि विधायकों के नुमाइंदों ने जोर देकर कहा कि इन बातों को उन्हें प्रस्ताव में शामिल करना पड़ेगा और इसे बाहर जाकर जनता के बीच कहना भी पड़ेगा।
मुश्किल में कांग्रेस हाईकमान
निश्चित रूप से ऐसे हालात में कांग्रेस हाईकमान के पास भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं। क्योंकि अशोक गहलोत पायलट को मुख्यमंत्री स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हैं। यह लगातार कहा जा रहा था कि गांधी परिवार सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहता है लेकिन विधायकों का बहुत बड़ा धड़ा अशोक गहलोत के खुलकर समर्थन में सामने आ गया है और कांग्रेस हाईकमान इस मामले में विधायकों की इच्छा के खिलाफ नहीं जा सकता।
कांग्रेस को उम्मीद थी कि अशोक गहलोत जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे तो एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत के आधार पर मुख्यमंत्री का पद आसानी से छोड़ देंगे लेकिन अब उनके समर्थक विधायक अड़ गए हैं इसलिए इसे लेकर आगे की राह बेहद मुश्किल हो गई है।
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