इस बग़ावत में शामिल विधायकों, मंत्रियों ने कहा है कि वे दिल्ली में अपनी मांग को मजबूत ढंग से रखेंगे। पंजाब कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू के कैंप के बीच लंबे वक़्त तक चले संघर्ष के बाद सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
सिद्धू ने दिखाई थी ताक़त
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने अपनी ताक़त दिखाई थी। इस बात का अंदाजा तब शायद कैप्टन को भी नहीं था कि सिद्धू के अमृतसर पहुंचने पर 62 विधायक उनके साथ खड़े हो जाएंगे। पंजाब में कांग्रेस के 80 विधायक हैं। ऐसे में माना गया था कि कैप्टन के क़रीबी भी उनका साथ छोड़कर सिद्धू के साथ आने लगे हैं।
सिद्धू के बारे में कहा जाता है कि उनकी सियासी ख़्वाहिश पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। लेकिन जब तक अमरिंदर सिंह कांग्रेस में सक्रिय हैं, तब तक ऐसा हो पाना मुश्किल है।
अगले ‘सरदार’ हैं सिद्धू
लेकिन अमरिंदर सिंह अब 79 साल के हो चुके हैं और लंबे वक़्त तक सियासी सक्रियता बना पाना उनके लिए भी आसान नहीं होगा। शायद इसी को भांपते हुए और हाईकमान का सिद्धू की पीठ पर हाथ होने के कारण कई विधायकों ने सिद्धू के साथ खड़े होने में भलाई समझी है क्योंकि यह उन्हें भी समझ आ गया है कि सिद्धू ही पंजाब कांग्रेस के अगले ‘सरदार’ हैं।
सलाहकारों के बयान पर विवाद
सिद्धू के सलाहकारों मलविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग के बयानों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गहरी नाराज़गी जताई थी। अमरिंदर सिंह के अलावा पंजाब से ही आने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी माली और गर्ग के बयानों को लेकर कहा था कि यह उन सभी लोगों के जख़्मों पर नमक छिड़कने जैसा है, जिन्होंने देश के लिए अपना ख़ून बहाया है। इसके बाद पार्टी को बैकफ़ुट पर आना पड़ा और पंजाब के प्रभारी हरीश रावत फिर से राज्य के दौरे पर आ रहे हैं।
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