पंजाब में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने कांग्रेस नेता राहुल गांधी मोगा पहुंच रहे हैं। राहुल गांधी 3 जनवरी को यहां चुनावी रैली करेंगे। पंजाब में पिछली बार कांग्रेस को अच्छी कामयाबी मिली थी लेकिन इस बार पार्टी के अंदर चल रहे झगड़ों, अमरिंदर सिंह की बगावत और किसानों के मैदान में उतरने के कारण उसके सामने चुनौतियां बेहद ज्यादा हैं।
पिछले चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली थी जबकि आम आदमी पार्टी पहली ही बार में 20 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनने में कामयाब रही थी।
अकाली-बीजेपी गठबंधन को 18 सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार अकाली दल और बीजेपी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
पंजाब उन गिने-चुने राज्यों में है जहां कांग्रेस सत्ता में है। राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ को दिल्ली बुलाकर उनसे बातचीत की थी और सभी नेताओं को चुनाव में जुटने का निर्देश दिया था।
अमरिंदर सिंह की ओर से मिल रही चुनौती के बाद कांग्रेस के लिए यह बेहद जरूरी है कि उसके नेता एकजुट होकर चुनाव मैदान में जाएं। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने बेहद छोटे कार्यकाल में ही तमाम बड़े एलान कर लोगों को कांग्रेस से जोड़ने की कोशिश की है लेकिन बावजूद इसके पार्टी की गुटबाजी उसके लिए मुसीबत का सबब बन सकती है।
पंजाब कांग्रेस में एक परिवार एक टिकट का नया आदेश आया है लेकिन बहुत सारे बड़े नेता अपने रिश्तेदारों को टिकट दिलवाना चाहते हैं। ऐसे में देखना होगा कि कांग्रेस कैसे टिकटों का बंटवारा करती है।
अकाली दल के बड़े नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कांग्रेस ने अकाली दल को घेरने की कोशिश की है और इससे निश्चित रूप से अकाली दल की मुश्किलें बढ़ी हैं।
दूसरी ओर, किसानों ने भी चुनाव मैदान में उतरने का एलान कर दिया है। किसानों का कहना है कि वह पंजाब की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और उनका आम आदमी पार्टी से गठबंधन होने की बात भी कही जा रही है। किसानों ने अपनी पार्टी का नाम संयुक्त समाज मोर्चा रखा है और बड़े किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल इसका चेहरा होंगे।
पंजाब में बीते दिनों हुई बेअदबी की घटनाओं और लुधियाना की अदालत में हुए बम धमाके के बाद राज्य का माहौल बेहद तनावपूर्ण है।
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