पंजाब में मतदान से ठीक दो हफ्ते पहले राहुल गांधी ने बहुत सधा हुआ सीधे बल्ले से सामने की तरफ़ स्ट्रोक खेला है जिसे रोकने वाला कोई फिल्डर मौजूद नहीं दिखता और गेंद सीधे बाउंड्री लाइन की ओर जाती दिख रही है। चार रन।
नवजोत सिंह सिद्धू जैसे मंझे हुए बल्लेबाज के सामने राजनीति के मैदान पर यह उनके कप्तान राहुल गांधी का चौका है। सिद्धू भी साथ खड़े हैं लेकिन नॉन स्ट्राइकर एंड पर। वो खुश हो रहे हैं, मुस्कुरा रहे हैं। चरणजीत सिंह चन्नी के चरण छूने पर सिद्धू उन्हें आशीर्वाद भी दे रहे हैं। गले से भी लगा रहे हैं। यही खेल भावना है जिसका प्रदर्शन खुलकर हो रहा है।
जैसे ही राहुल ने चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की घोषणा की, सिद्धू उठ खड़े हुए। चन्नी का हाथ पकड़ा। समर्थन का एलान किया। चरण छूने के बाद जब भाषण देने की बारी आयी तो चन्नी की आंखों में आंसू थे। खुशी के आंसू। ठीक वही दृश्य जीवंत हो गया जो अरविंद केजरीवाल की ओर से भगवंत मान को आम आदमी पार्टी का चेहरा बनाए जाने के बाद दृश्य पैदा हुआ था। भगवंत मान भावुक हुए थे, रो पड़े थे।
क्रिकेट में भी कभी कप्तान नहीं बन पाए सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू बहुत अच्छे बल्लेबाज रहे लेकिन क्रिकेट की टीम में कभी कप्तान नहीं बन पाए। एक बार फिर राजनीति के मैदान में भी कहानी दोहरायी जाती दिख रही है। सिद्धू ने कप्तानी के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को टीम से बाहर तक का रास्ता दिखला दिया लेकिन उनकी खाली की हुई जगह पर चरणजीत सिंह चन्नी आ बैठे। सिद्धू को अनंत इंतज़ार झेलना पड़ेगा।
लुधियाना में राहुल गांधी जब पंजाब के मुख्यमंत्री का चेहरा एलान करने निकले तो उनकी गाड़ी पर तीन अन्य लोग भी सवार थे। ड्राइवर बने सुनील जाखड़ जिनके बगल में बैठे थे राहुल गांधी। पीछे की सीट पर नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी भी थे। दो सिख पीछे थे तो दो गैर सिख आगे। पूरा संतुलन दिख रहा था। सिखों में भी एक दलित सिख तो दूसरा ग़ैर दलित।
राहुल ने अच्छे शॉट के लिए कड़ी मेहनत की
राहुल गांधी ने जो संतुलन बल्लेबाजी करते हुए दिखलाया है उसके लिए उन्हें मैदान से बाहर नेट प्रैक्टिस पर बहुत मेहनत करनी पड़ी है। सिद्धू की पैंतरेबाजी और उछल-कूद के बीच नज़र को स्थिर रखना पड़ा है। तरह-तरह से गेंदें आजमाकर शॉट खेलते हुए एक तरह से उन्होंने पूरे मैदान का सर्वे कर लिया कि क्या करने से क्या होगा। चरणजीत सिंह चन्नी को चेहरा बना देने वाला शॉट उन्हें पसंद आया। इस शॉट की बारंबार प्रैक्टिस की और मौक़े पर चौका जड़ दिया।
पंजाब के चुनाव में टीम कांग्रेस वास्तव में अब राहुल गांधी की कप्तानी में चुनाव मैदान में है और चरणजीत सिंह चन्नी मैन ऑफ़ द मैच होने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। 111 दिन की जो पारी चन्नी बतौर मुख्यमंत्री खेल चुके हैं उससे उनका दावा मज़बूत है। चन्नी के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह है कि वह अपनी पिच पर खेल रहे हैं। 32 प्रतिशत दलित आबादी वाला वो इलाक़ा है जहाँ वह सबसे ज़्यादा रन बटोर सकते हैं। यहां वे पसंदीदा शॉट खेलकर अपनी स्थिति मज़बूत कर सकते हैं।
111 दिन में चन्नी ने भी मारे हैं चौके-छक्के
पंजाब के सीएम का चेहरा बनाए जाने से पहले एक चैनल को दिए इंटरव्यू में चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने 111 दिन के कार्यकाल के बारे में कहा था, “टेस्ट मैच नहीं, मुझे टी-20 मैच में आख़िरी दो ओवर मिले हैं। इतना ही खेल मिला है। उसमें जो चौके-छक्के बजे हैं वो आपको भी पता है।” दरअसल मुख्यमंत्री के रूप में चन्नी ने फ्री बिजली का एलान कर बड़ी सियासी चाल चल दी थी। उनकी सादगी लोग पसंद कर रहे हैं। चन्नी कहते हैं “मेरी बैटिंग हमेशा पब्लिक हित में रहती है। मैं इधर-उधर नहीं घुमाता हूं। मैं कुछ खेल नहीं करता। मैं अपनी चाल से चलता हूँ।"
चन्नी के नज़दीकी लोगों पर ईडी का शिकंजा कसा है। यह बात व्यक्तिगत रूप से चन्नी परिवार के लिए परेशान करने वाली भले हो लेकिन सियासत के मैदान पर चरणजीत सिंह चन्नी इन घटनाओं से भी स्कोर बना रहे हैं। चन्नी के लिए सहानुभूति है। केंद्र सरकार के क़दम को चुनावी और चन्नी को परेशान करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
चन्नी के पक्ष में यह बात भी महत्वपूर्ण है कि उन्हें रविदास समाज का पूरा समर्थन है। इस समाज की पकड़ सिखों में भी है और हिन्दुओं में भी।
चन्नी के लिए कोई एंटी इनकंबेंसी नहीं
चरणजीत सिंह चन्नी के लिए एंटी इनकंबेंसी जैसी कोई विपरीत परिस्थिति भी नहीं है। बस रनआउट होने का ख़तरा है क्योंकि साथ में दौड़ रहे हैं नवजोत सिंह सिद्धू। मगर, सिद्धू की स्थिति यह है कि वे राहुल गांधी के शॉट मारने पर दौड़ रहे हैं यानी ऐसे रनर हैं जिनके दौड़ने से खुद उन्हें कोई रन नहीं मिलता। फिर भी विकेट के बीच दौड़ में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी। वे राहुल को भी आउट कर दे सकते हैं और चन्नी को भी। लेकिन, यह भी तय है कि ऐसा करने पर सिद्धू का टीम में बने रहना भी मुश्किल हो जाएगा।
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