नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस की प्रधानगी से दिया अपना इस्तीफा तो वापस ले लिया लेकिन साथ ही अपनी ही पार्टी की सरकार को चुनौती देते तथा ललकारते हुए कोप भवन में भी चले गए। पिछले दिनों वह मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ केदारनाथ धाम की यात्रा पर गए थे। तब कहा गया था कि दोनों के बीच 'समझौता' हो गया है। जिसके तहत, अगर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुमत में आती है तो ढाई साल के बाद सिद्धू को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी। चन्नी--सिद्धू मिलकर चलेंगे और एकजुट होकर चुनाव प्रचार करेंगे। लेकिन हफ्ता भी नहीं बीता कि आलम बदल गया।

केदारनाथ की यात्रा पर चरणजीत सिंह चन्नी के साथ-साथ दिखे नवजोत सिंह सिद्धू फिर से क्यों ललकारने लगे हैं? लगातार वह कांग्रेस के लिए विवाद क्यों खड़े कर रहे हैं और क्या पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष बनाकर ग़लती कर दी?
इस्तीफा वापस लेते हुए उन्होंने अपनी पुरानी ज़िद दोहरा दी कि वह डीजीपी और एडवोकेट जनरल को बदलने के बाद ही कांग्रेस भवन जाएँगे। केदारनाथ यात्रा के दौरान, पूर्व प्रदेश प्रभारी हरीश रावत तथा मौजूदा प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी की उपस्थिति में फैसला हुआ था कि सिद्धू इस जिद को छोड़ देंगे तथा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को स्वतंत्र तौर पर सरकार चलाने देंगे।