पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू कैंप के बीच लंबे वक़्त तक चले संघर्ष के बाद ऐसा दिन भी आया है जब दोनों नेता एक ही मंच पर बैठे हैं। सिद्धू ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला और इस कार्यक्रम में अमरिंदर सिंह भी शामिल हुए। पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी कार्यक्रम में मौजूद रहे।
इससे पहले अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के सभी विधायकों, सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को चाय पार्टी पर बुलाया और इस चाय पार्टी में अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की मुलाक़ात और बात हुई।
सिद्धू ने भेजा था पत्र
हालांकि सिद्धू की ओर से अमरिंदर सिंह को इस कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण पत्र भेजा गया था। जिसके बाद अमरिंदर की ओर से चाय पार्टी दी गई। निमंत्रण पत्र में सिद्धू ने लिखा था कि उनका कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं है और केवल ‘प्रो-पीपल’ एजेंडा है। इसलिए, वह पंजाब कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ होने की वजह से उनसे कार्यक्रम में आने का अनुरोध करते हैं।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कुछ दिन पहले ट्वीट कर कहा था कि मुख्यमंत्री तब तक सिद्धू से नहीं मिलेंगे जब तक वह उन्हें लेकर सोशल मीडिया पर किए गए हमलों के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी नहीं मांग लेते। तब ऐसा लगा था कि यह झगड़ा और बढ़ेगा। याद दिला दें कि सिद्धू ने बीते तीन महीनों में ट्विटर और अपने बयानों के जरिये कैप्टन पर जोरदार हमला बोला था।
माना जाना चाहिए कि अमरिंदर सिंह के इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद दोनों नेताओं के बीच चल रहा झगड़ा ख़त्म होगा।
सिद्धू ने दिखाई थी ताक़त
इस बात का अंदाजा शायद कैप्टन को भी नहीं रहा होगा कि सिद्धू के अमृतसर पहुंचने पर 62 विधायक उनके साथ खड़े हो जाएंगे। पंजाब में कांग्रेस के 80 विधायक हैं। ऐसे में माना गया कि कैप्टन के क़रीबी भी उनका साथ छोड़कर सिद्धू के साथ आने लगे हैं।
जब से सिद्धू को अध्यक्ष बनाने का एलान हाईकमान की ओर से हुआ है, इस पूर्व क्रिकेटर ने बेहद तेज़ी से पंजाब की ज़मीन नापनी शुरू कर दी है। सिद्धू के समर्थकों का जोश देखकर साफ लगता है कि वे सिद्धू को 2022 में सूबे का मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। सिद्धू के स्वागत कार्यक्रमों में खासी भीड़ उमड़ी है।
अगले ‘सरदार’ हैं सिद्धू
सिद्धू के बारे में कहा जाता है कि उनकी सियासी ख़्वाहिश पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। लेकिन जब तक अमरिंदर सिंह हैं, तब तक ऐसा हो पाना मुश्किल है।
लेकिन अमरिंदर सिंह अब 79 साल के हो चुके हैं और लंबे वक़्त तक सियासी सक्रियता बना पाना उनके लिए भी आसान नहीं होगा। शायद इसी को भांपते हुए और हाईकमान का सिद्धू की पीठ पर हाथ होने के कारण कई विधायकों ने सिद्धू के साथ खड़े होने में भलाई समझी है क्योंकि यह उन्हें भी समझ आ गया है कि सिद्धू ही पंजाब कांग्रेस के अगले ‘सरदार’ हैं।
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लंबे वक़्त तक चली जंग
बता दें कि सिद्धू और अमरिंदर के बीच लंबे वक़्त तक चली जंग के बाद हाईकमान ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है जबकि कैप्टन कई बार कह चुके थे कि सिद्धू को अध्यक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए। नवजोत सिंह सिद्धू को रोकने के लिए कैप्टन ने आख़िरी वक़्त में अपने सियासी विरोधी प्रताप सिंह बाजवा का भी नाम आगे बढ़ाया लेकिन हाईकमान इस पद पर सिद्धू को ही चाहता था।
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