पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू की नाराज़गी भले ही ख़त्म न हुई हो, लेकिन उनके रुख में नरमी के संकेत मिल रहे हैं।
सिद्धू ने गुरुवार की शाम पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात की। इस मुलाक़ात के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं मिली है, पर यह पता चला है कि दोनों नेताओं में कई मुद्दों पर बातचीत हुई है।समझा जाता है कि चन्नी ने सिद्धू की कई मांगों को मान लिया है।
मान गए सिद्धू!
समझा जाता है कि चन्नी पुलिस महानिदेशक और अटॉर्नी जनरल में से किसी एक को हटाने पर सहमत हो गए हैं। उनकी जगह सिद्धू के पसंदीदा अफ़सर को नियुक्त किया जाएगा।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि सिद्धू अपने सलाहकार मुहम्मद मुस्तफ़ा के पसंदीदा पुलिस अफ़सर एस. चटर्जी को पुलिस महानिदेशक बनाना चाहते थे, पर चन्नी ने उनकी जगह आई. एस. सहोटा को नियुक्त कर दिया था। सिद्धू इससे नाराज़ थे।
इसी तरह अटॉर्नी जनरल के पद पर ए. पी. एस. देओल को नियुक्त किए जाने से सिद्धू खफ़ा थे क्योंकि देओल उस डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील हैं, जिनके पद पर रहते हुए गुरु ग्रंथ साहिब के साथ बेअदबी की गई थी और इसके खिलाफ़ हुए प्रदर्शन पर गोलियाँ चलाई गई थीं।
इन दोनों में से किसी एक को हटाने पर सिद्धू फिलहाल मान जाएंगे, यह कहा जा रहा है, हालांकि इस पर औपचारिक रूप से कोई कुछ नहीं कह रहा है।
DGP IPS Sahota was head of SIT investigating Beadbi case under Badal Govt, he wrongfully indicted two Sikh youth for sacrilege & gave clean chit to Badals. In 2018, I along with INC Ministers, then PCC Pres & present Home Minister assured them of our support in fight for Justice. https://t.co/yX3TT17fCv pic.twitter.com/aQpJ9xq0KQ
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 30, 2021
पुलिस प्रमुख के बहाने सीएम पर निशाना?
पूर्व पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पुलिस महानिदेशक और अटॉर्नी जनरल को हटाने की सिद्धू की जिद पर उनकी परोक्ष आलोचना की थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि इस बहाने से मुख्यमंत्री को नीचा दिखाने की कोशिश बंद की जानी चाहिए।Enough is enough. Put an end to attempts to undermine the authority of CM time and again. Aspersions being cast on selection of AG & DGP is actually questioning the integrity/competence of CM and Home Minister to deliver results. It’s time to put the foot down and clear the air.
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) September 30, 2021
4 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक
मुख्यमंत्री चन्नी ने 4 अक्टूबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
दूसरी ओर सिद्धू ने अपने समर्थकों परगट सिंह, डॉक्टर राजकुमार वर्क और कुलजीत नागरा से बैठक की है।
बता दें कि इसके पहले बुधवार को चन्नी ने सिद्धू को फ़ोन कर कहा था कि जिन मुद्दों पर मतभेद हैं और उनकी नाराज़गी है, उन पर आपस में मिल कर बात कर लें। उस समय सिद्धू ने बात करने से इनकार कर दिया था।
लेकिन बाद में सिद्धू ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से बात करने को तैयार हैं। उन्होंने स्वयं ट्वीट कर यह जानकारी दी थी।
Chief Minister has invited me for talks … will reciprocate by reaching Punjab Bhawan, Chandigarh at 3:00 PM today, he is welcome for any discussions !
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) September 30, 2021
याद दिला दें कि सिद्धू ने मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। पर्यवेक्षकों का कहना था क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह ने एक राजनीतिक गुगली फेंकी थी, जिसके निशाने पर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ही नहीं, केंद्रीय नेतृत्व भी था।
क्या कहा सिद्धू के सलाहकार ने?
मुहम्मद मुस्तफ़ा ने 'एनडीटीवी' से कहा, "नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे। यह मामला सलटा लिया जाएगा।"
उन्होंने इसके आगे कहा,
“
केंद्रीय नेतृत्व यह जानता है कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस नेतृत्व से परे नहीं हैं। वे अमरिेंदर सिंह की तरह नहीं है, जिन्होंने कांग्रेस और केंद्रीय नेतृत्व की कभी परवाह नहीं की।
मुहम्मद मुस्तफ़ा, सलाहकार, नवजोत सिंह सिद्धू
बुधवार को सिद्धू इस पर राजी नहीं थे कि चन्नी से मुलाक़ात कर मतभेदों को निपटा लिया जाए। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए लोगों से मिलने या बात करने से इनकार कर दिया था।
सिद्धू ने इस्तीफ़ा देते वक़्त कहा था कि वे पंजाब के लिए सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं कर सकते।
मुस्तफ़ा की पत्नी दे दिया था इस्तीफ़ा
सिद्धू के बाद उनके सलाहकार मुहम्मद मुस्तफ़ा की पत्नी और मलेरकोटला से विधायक रज़िया सुलताना ने कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था और कहा था कि सिद्धू पंजाब और पंजाबियत को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मुस्तफ़ा ने अपनी पत्नी के इस्तीफ़े का स्वागत करते हुए कहा था कि उन्हें इस पर गर्व है कि रज़िया ने मूल्यों के लिए पद छोड़ दिया।
लेकिन अब वही मुस्तफ़ा कह रहे हैं कि सिद्धू का इस्तीफ़ा भावनाओं में बह कर किया गया निर्णय था, इस मामले को सुलटा लिया जाएगा और सिद्धू पद पर बने रहेंगे।
शुरू से ही नाराज़
चन्नी सरकार के मंत्रियों के शपथ ग्रहण के कुछ घंटे पहले ही छह विधायकों ने बग़ावत कर दी थी। उन्होंने सिद्धू को चिट्ठी लिख कर राणा गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने की माँग कर दी।
गुरजीत सिंह पर बालू खनन घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था और उन्हें 2018 में पद से हटा दिया गया था।
समझा जाता है कि सिद्धू खुद नहीं चाहते थे कि गुरजीत सिंह को मंत्री बनाया जाए और चिट्ठी उनकी शह पर लिखी गई थी। लेकिन आला कमान ने गुरजीत सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल किया। यह सिद्धू को नागवार गुजरा था।
इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी प्रमुख और सिद्धू के नज़दीक समझे जाने वाले कुलजीत सिंह नागरा को पद से हटा दिया था।
इन दोनों बातों से संकेत गया कि सिद्धू के कहे मुताबिक ही सबकुछ नहीं होगा।
इतना ही नहीं, नवजोत सिंह सिद्धू के प्रखर आलोचक डॉक्टर राजकुमार वर्क को सरकार में शामिल किया गया, वे वाल्मीकि समुदाय से हैं।
यह भी सिद्धू को बुरा लगा था।
अपनी राय बतायें