पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने रोड रेज के मामले में शुक्रवार शाम को पटियाला की एक अदालत में सरेंडर कर दिया। इससे पहले उन्होंने सरेंडर करने के लिए और वक्त मांगा था और इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। सिद्धू को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोड रेज के मामले में 1 साल जेल की सजा सुनाई थी।
सिद्धू की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस एएम खानविलकर के सामने और वक्त दिए जाने की मांग रखी थी। जिस पर जस्टिस खानविलकर ने उनसे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की अदालत में जाने को कहा था।
क्या है मामला?
रोड रेज का मामला 1988 का है। इस मामले में 65 साल के शख्स की मौत हो गई थी। इस शख्स का नाम गुरनाम सिंह था और वह पटियाला के रहने वाले थे।
सितंबर, 1999 में इस मामले में सिद्धू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था गया था लेकिन दिसंबर 2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने उन्हें और उनके साथी को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया था और दोनों पर 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
लेकिन 15 मई, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया था।
इस मामले को लेकर पंजाब में सियासत भी हुई है और नवजोत सिंह सिद्धू के परिवार ने आरोप लगाया था कि शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया के इशारे पर फिर से इस मुकदमे को जिंदा किया जा रहा है।
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