पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर शुरू हुई सियासी उठापटक के बीच राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत का बड़ा बयान सामने आया है। रावत ने गुरूवार को कहा कि पंजाब कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। रावत के बयान का यह भी मतलब है कि इतने महीनों से राज्य के सियासी क्षत्रपों के बीच चल रहे घमासान को ख़त्म करने की जो कवायद हाईकमान कर रहा है, उसका नतीजा अब तक सिफर ही रहा है।
बीते कुछ दिनों में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ख़िलाफ़ पार्टी के नेताओं ने फिर से मोर्चा खोला है और इसी बीच प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों के बयानों ने भी पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था। इसके बाद सिद्धू का बयान आ गया कि अगर उन्हें फ़ैसले लेने की छूट नहीं दी गई तो वह ईंट से ईंट बजा देंगे।
इन सब बातों की वजह से हरीश रावत को फिर से पंजाब और कांग्रेस हाईकमान के दरवाज़े पर जाना पड़ा।
पंजाब में दो दिन तक रुकने और तमाम नेताओं से बातचीत के बाद गुरूवार को पत्रकारों के इस सवाल के जवाब में कि क्या पंजाब कांग्रेस में सब ऑल इज वैल है, रावत ने कहा कि वे ऑल इज वैल तो नहीं कहेंगे लेकिन हम उस दिशा में बढ़ रहे हैं, जहां सब चीजें ठीक हो जाएं। रावत ने कहा कि थोड़े-बहुत जो सवाल हैं, उन्हें हल करने की कोशिश हो रही है।
अमरिंदर-सिद्धू को नसीहत
रावत ने इस दौरान अपनी बात को साफ करते हुए कहा कि अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू को मिलकर काम करना ही होगा और इसी में दोनों का फ़ायदा है। उन्होंने कहा कि ऐसा न करने से सबसे ज़्यादा नुक़सान उन्हीं लोगों को होगा, जो सबसे ताक़तवर पदों पर बैठे हैं।
बेलगाम होते सिद्धू
कांग्रेस ने अमरिंदर सिंह की नाराज़गी और विरोध के बाद सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना तो दिया है लेकिन यह कहीं पार्टी को भारी न पड़ जाए। सिद्धू का यह कहना कि वे हाईकमान को बताकर आए हैं कि अगर उन्हें फ़ैसले लेने की छूट नहीं दी गई तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे, ये बयान सीधे-सीधे हाईकमान को चुनौती जैसा है।
इसके अलावा सिद्धू के खासमखास परगट सिंह का ये कहना कि हरीश रावत को ये अधिकार किसने दिया कि वे मुख्यमंत्री का चेहरा तय करें, यह भी रावत सहित पार्टी हाईकमान के लिए चुनौती है। सिद्धू के सलाहकारों के बयानों की तो कांग्रेस के बड़े नेताओं ने तक मज़म्मत की।
और ये सब बवाल बीते एक-डेढ़ महीने में ही हुआ है। चुनाव के नज़दीक आने तक रब न जाने क्या होगा। ऐसे में पार्टी हाईकमान के सामने सिद्धू एक बहुत बड़ी चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं।
दूसरी ओर, रावत जब पंजाब पहुंचे, थोड़ी देर बाद सिद्धू दिल्ली आ गए। यहां वे किससे मिले ये तो पता नहीं लेकिन ऐसी ख़बरें हैं कि उन्होंने हाईकमान से मिलने की कोशिश की थी। लेकिन उन्हें वक़्त नहीं दिया गया और सिद्धू वापस पंजाब लौट गए।
रावत के ताज़ा बयान और सिद्धू के तेवरों को देखकर यही लगता है कि आने वाले दिन पंजाब में कांग्रेस के लिए बहुत भारी साबित होने वाले हैं।
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