पंजाब कांग्रेस में फिर से खड़े हुए सियासी बवाल के बीच राज्य में पार्टी के प्रभारी हरीश रावत ने शनिवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हरीश रावत से मुलाक़ात की है। रावत शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले थे और उन्हें पंजाब कांग्रेस में चल रहे ताज़ा घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी थी।
बीते कुछ दिनों में जहां एक बार फिर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत तेज़ हुई है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए नवजोत सिंह सिद्धू और उनके सलाहकारों के बयानों ने हाईकमान को हलकान किया हुआ है।
राहुल गांधी के साथ हुई मुलाक़ात में भी हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस के बाग़ी विधायकों-मंत्रियों के रूख़ के बारे में जानकारी दी है। मुलाक़ात के बाद हरीश रावत ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वे दो-तीन दिन के अंदर पंजाब जाएंगे और वहां जाकर पार्टी के नेताओं से मुलाक़ात करेंगे। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से ज़रूर मुलाक़ात करेंगे।
ख़बरों के मुताबिक़, रावत ने हाईकमान से अनुरोध किया है कि उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटने के लिए उन्हें पंजाब के प्रभारी पद से मुक़्त कर दिया जाए।
‘ईंट से ईंट बजा दूंगा’
उधर, सिद्धू गुरूवार को अमृतसर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी रौ में जो कुछ बोल गए, उसे हज़म कर पाना शायद कांग्रेस हाईकमान के लिए भी आसान नहीं होगा।
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सिद्धू ने कहा था, “आज भी मैं हाईकमान से यह बात कहकर आया हूं कि अगर मैं इस पंजाब मॉडल पर, लोगों की आशाओं पर खरा उतरा तो 20 साल तक कांग्रेस को जाने नहीं दूंगा, अगर आप मुझे फ़ैसले नहीं लेने देंगे तो मैं ईंट से ईंट बजा दूंगा।” सिद्धू ने एक नहीं दो बार इस बात को कहा कि वे ईंट से ईंट बजा देंगे। उन्होंने कहा कि दर्शनी घोड़ा बने रहने से कोई फ़ायदा नहीं है।
मनीष तिवारी का तंज
सिद्धू के इस बयान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कांग्रेस हाईकमान पर तंज कसा है। पंजाब की आनंदपुर साहिब सीट से सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा है, “हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती।” उन्होंने सिद्धू के बयान का वीडियो भी पोस्ट किया है।
अमरिंदर विरोधियों को संदेश
हरीश रावत ने अमरिंदर के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलने वाले नेताओं को साफ संदेश देते हुए कहा था कि कांग्रेस 2022 का विधानसभा चुनाव कैप्टन की क़यादत में ही लड़ेगी। रावत के बयान से साफ हो गया था कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुरजोर विरोध के बाद भी नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने वाला हाईकमान इस बार कैप्टन के साथ है। साथ ही वह सिद्धू से ख़फ़ा है, यह बात भी साफ हो गई थी।
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माली का इस्तीफ़ा
नवजोत सिंह सिद्धू के पूर्व सलाहकार मलविंदर सिंह माली की कुछ हालिया फ़ेसबुक पोस्ट को लेकर जबरदस्त विवाद हुआ था और बीजेपी ने इसे मुद्दा बना लिया था। इसके अलावा सिद्धू के एक और सलाहकार प्यारे लाल गर्ग के बयान को लेकर भी विवाद हुआ था और इसके बाद हरीश रावत ने सख़्त होते हुए कहा था कि सिद्धू को इन सलाहकारों को हटा देना चाहिए और ज़रूरत पड़ी तो वे इन्हें हटाने का निर्देश देंगे। अगले ही दिन माली ने इस्तीफ़ा दे दिया था। सिद्धू ने हाल ही में चार सलाहकार नियुक्त किए थे।
अमरिंदर का शक्ति प्रदर्शन
सिद्धू को घिरता देख अमरिंदर ने भी गुरूवार को चंडीगढ़ में अपनी सियासी ताक़त का मुज़ाहिरा किया और कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी के आवास पर रखे गए डिनर में 58 विधायकों और 8 सांसदों को जुटा लिया। बता दें कि बीते कुछ दिनों में एक बार फिर अमरिंदर के ख़िलाफ़ बग़ावत तेज़ हुई है और बग़ावती नेताओं का कहना है कि उनके साथ 46 विधायकों का समर्थन है।
लेकिन अमरिंदर ने उनकी बात को ग़लत साबित कर दिया है। अमरिंदर के गुट की ओर से इस डिनर की तसवीरें और वीडियो भी जारी किए गए हैं। इस डिनर में अमरिंदर की कैबिनेट के 8 मंत्री भी शामिल रहे।
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