पंजाब में बीते 1 हफ्ते में ड्रग्स की ओवरडोज के कारण 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद पंजाब की आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार सवालों के घेरे में है। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2022 के विधानसभा चुनाव तक आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार बनने पर नशे को खत्म किए जाने के दावे अपनी चुनावी रैलियों में करते रहे हैं।
नशे की तस्करी के मामले में पंजाब में तरनतारन जिले के खेमकरण इलाके में पुलिस ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया है जो अपनी सरपंच पत्नी के साथ विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुआ था।
इस शख्स का नाम जसवंत सिंह है और उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
जसवंत सिंह की पत्नी कांग्रेस के टिकट पर दशमेश नगर से सरपंच चुनी गई थीं लेकिन बाद में यह दंपति आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे।
हालांकि बीते दिनों में पंजाब पुलिस ने नशे के तस्करों के खिलाफ कार्रवाई तेज की है और नशे के सात सौदागरों को गिरफ्तार करते हुए उनसे 300 ग्राम हेरोइन भी बरामद की है।
शिरोमणि अकाली दल के पूर्व विधायक विरसा सिंह वल्टोहा ने जसवंत सिंह की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है और पूछा है क्या यह वही बदलाव है जिसके लिए लोगों ने वोट दिया था।
आम आदमी पार्टी ने इस संबंध में कहा है कि चुनाव से पहले कई लोग पार्टी में शामिल हुए थे और तब उनके बारे में जांच पड़ताल का वक्त नहीं था लेकिन अगर कोई भी गलत कामों में शामिल पाया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी।
वीडियो वायरल
पंजाब में नशे की तस्करी से जुड़ा वीडियो भी बीते दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने भी इस वीडियो को ट्वीट किया है।
इस वीडियो में कुछ बच्चों को नशे के एक तस्कर को पैसे देते हुए और उससे ड्रग्स खरीदते हुए दिखाया गया है। यह वीडियो बताता है कि पंजाब से ड्रग्स को खत्म करने के राजनेताओं के सारे दावे झूठे हैं, खोखले हैं और पंजाब की बहुत बड़ी युवा आबादी नशे के दलदल में धंस चुकी है।
पंजाब नशे की चपेट में है ऐसा बीते सालों में आई कई रिपोर्टों में कहा जा चुका है। पंजाब में 10 में से 7 युवा नशे की चपेट में हैं, इस बात को भी राजनेता कहते रहे हैं। इसी विषय पर पंजाब में एक फिल्म भी बनी थी जिसका नाम था उड़ता पंजाब।
आप विधायक ने भी उठाए सवाल
फरीदकोट से आम आदमी पार्टी के विधायक गुरदीप सिंह सेखों ने कहा है कि उनके बगल के गांव में नशे के तस्करों ने सामाजिक कार्यकर्ता बलजीत सिंह पर इसलिए हमला कर दिया क्योंकि बलजीत ने उन्हें रोकने की कोशिश की थी। उन्होंने सवाल उठाया है कि हम लोगों को कैसे न्याय का भरोसा दे पाएंगे अगर उनके ही लोगों को नशे के तस्कर पीट देंगे। विधायक ने ही बलजीत सिंह को नशे की तस्करी को रोकने वाली टीम का सदस्य बनाया था।
कई जिलों में हुई मौतें
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 3 मई को खडूर साहिब के अलवरपुर गांव में 36 साल के रूपइंद्रजीत सिंह की मौत हो गई थी और इस मामले में नशे के दो तस्करों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी दिन 28 साल के करमजीत सिंह की फरीदकोट में मौत हो गई थी।
करमजीत सिंह नशे का आदी था। बीते साल करमजीत सिंह के भाई की भी नशे के कारण मौत हो गई थी। 2 मई को जलालाबाद के गांव जलेवाला में ओम प्रकाश की भी मौत हुई थी और उसका नशा छोड़ने का इलाज चल रहा था।
इसी दिन गुरदासपुर के बटाला शहर में गुरप्रीत सिंह की भी मौत हो गई थी। गुरप्रीत सिंह भी नशे का आदी था। इस तरह की मौतें अमृतसर, मुक्तसर, मलोट और फिरोजपुर के गांव में भी हुई हैं।
निश्चित रूप से पंजाब में नशे का सिंडिकेट काफी मजबूत है और अगर भगवंत मान सरकार नशे से होने वाली मौतों को रोकना चाहती है तो उसे पंजाब के सिस्टम में गहरी जड़ें जमा चुके नशे के तस्करों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी।
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