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देओल को नहीं हटाएगी सरकार, चन्नी का सिद्धू को सीधा जवाब

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बाग़ी तेवर न केवल बरकरार हैं बल्कि कहीं ज्यादा तीखे हो गए हैं। राज्य की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार के ख़िलाफ़ उनका हमलावर रुख विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है। 

ताज़ा मामला यह है कि पंजाब मंत्रिमंडल के एक अहम फ़ैसले के तहत सूबे में बिजली सस्ती कर दी गई है। सरकार को इससे वाहवाही मिल ही रही थी कि सिद्धू ने ही सबसे पहले इसपर पानी फेर दिया। 

मुख्य विपक्षी पार्टियों ने तो बाद में मोर्चा संभाला लेकिन उनके तेवर भी उतने तल्ख नहीं थे, जितने सिद्धू के थे। राज्य के राजनीतिक गलियारों में खुलकर पूछा जा रहा है कि सिद्धू अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ जाकर आखिर किसकी तरफ से 'खेल' रहे हैं और दरअसल यह खेल है क्या? 

सिद्धू का बड़बोलापन यक़ीनन चन्नी सरकार और कांग्रेस को बड़ा नुक़सान पहुंचा रहा है। तय है कि इससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की लुटिया डूब सकती है।

पहले जानते हैं कि बिजली दरों में कटौती होने पर सिद्धू ने अपनी ही सरकार पर क्या तंज कसे। सोमवार को जब पंजाब मंत्रिमंडल बिजली दरों की बाबत अहम घोषणाएं कर रहा था, ठीक तभी सिद्धू नवगठित 'संयुक्त हिंदू महासभा' के मंच पर थे और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ हमलावर हो रहे थे। बटाला विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके अश्विनी सेखड़ी ने संयुक्त हिंदू महासभा का गठन किया है। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सिद्धू विशेष मेहमान थे।

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अपनी ही सरकार निशाने पर 

सिद्धू ने कार्यक्रम में कहा कि सरकार खोखले वायदे कर रही है, जिनके पीछे न तथ्य हैं और न सच्चाई। इससे पार्टी को कोई लाभ नहीं होगा। अगर सत्ता में बैठे लोग झूठ के जरिए अवाम को गुमराह करने की कोशिश करते हैं तो पार्टी के साथ कोई खड़ा नहीं होगा। 

उन्होंने कहा कि सरकार के दो महीने शेष हैं और अब सबकुछ मुफ्त बांटा जा रहा है। सिद्धू बोले कि उन्हें मैडम (सोनिया गांधी) ने प्रदेश की कमान सौंपी है और वह डैमेज कंट्रोल करने आए हैं। 

Charanjit Singh Channi and Navjot Sidhu fight in punjab congress - Satya Hindi

अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री पर जबरदस्त कटाक्ष करते हुए सिद्धू ने कहा, “बड़े-बड़े वादे करने वालों से सावधान रहना चाहिए, क्या लोग इस बार दीवाली पर उपहार देने वालों को वोट देंगे या फिर पंजाब को पूरी तरह से दलदल से निकालने वालों को।” 

सिद्धू के करीबी अश्विनी सेखड़ी ने कहा कि मुख्यमंत्री चन्नी के इर्द-गिर्द वही चाटुकार इकट्ठा हो गए हैं जो कैप्टन को घेरे रहते थे। 

सूत्रों के मुताबिक़, मंत्रिमंडल की बैठक के बीच ही सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाजी का नवजोत सिंह सिद्धू का वीडियो-ऑडियो मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तक पहुंच गया। सिद्धू एडवोकेट जनरल (एजी) के पद पर अमरप्रीत सिंह देओल की नियुक्ति से खफा थे। 

चन्नी ने बदला फ़ैसला 

देओल ने सोमवार सुबह इस्तीफा दे दिया था और इसे कैबिनेट की बैठक में मंजूर किया जाना था। मान लिया गया था कि उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका है लेकिन जैसे ही नवजोत सिंह सिद्धू की अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाजी वाला वीडियो-ऑडियो मुख्यमंत्री को मिला तो उन्होंने गहरी नाराज़गी के चलते एजी का इस्तीफा नामंजूर कर दिया। देर शाम अमरप्रीत सिंह देओल ने कहा कि वह अभी एडवोकेट जनरल हैं और रहेंगे। 

सियासी जानकारों का मानना है कि अब चन्नी भी नवजोत सिंह सिद्धू को और ज्यादा बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार मंगलवार को उन्होंने आलाकमान को सिद्धू की इस नई कारगुजारी की विस्तृत रिपोर्ट भेजी है।

मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए!

असल में, पहले तीन-चार दिन छोड़ दें तो नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी को चैन से काम नहीं करने दिया। तीन महीने पहले कांग्रेस की राज्य इकाई का अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने की मुहिम चलाई तो इसके पीछे मूल वजह यह थी कि वह खुद मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन आलाकमान ने चन्नी का चयन किया। 

बयानबाज़ी पर है सिद्धू का जोर

फिर सिद्धू ने नए मुख्यमंत्री को कठपुतली की तरह नचाना चाहा लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। विनम्र चन्नी अब पूरी तरह सिद्धू से किनारा कर चुके हैं। पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि अभी भी वक्त है कि कांग्रेस आलाकमान भी प्रदेश इकाई को 'सिद्धू मुक्त' कर दे। वैसे भी, नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रधान बनने के बाद बयानबाजी के सिवा कुछ नहीं किया है।

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निष्क्रिय है कांग्रेस संगठन 

चन्नी सरकार सक्रिय है लेकिन संगठन दिन-प्रतिदिन और ज्यादा लुंज-पुंज होता जा रहा है। ऐसे में जबकि बादलों की सरपरस्ती वाला शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी खासे सक्रिय हैं, कांग्रेस किसके बूते विधानसभा चुनाव में जाएगी? 

चरणजीत सिंह चन्नी सरकार कितनी भी बड़ी उपलब्धियां हासिल क्यों न कर रही हो, मजबूत संगठन और बेहतर तालमेल के बगैर ज्यादा दूर तक नहीं जाया जा सकता और फिर तीन महीने का वक्त नाकाफी ही है!

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अमरीक
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