चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के कारण बीते 2 दिनों से बिजली सप्लाई बंद है और इस वजह से लोगों को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी बिजली महकमे के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से पानी की सप्लाई भी ठप हो गई है और कई जगहों पर टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाना पड़ा है।
बिजली न होने की वजह से कई जगहों पर ट्रैफिक सिग्नल भी काम नहीं कर रहे हैं। चंडीगढ़ के सेक्टर 17 में बिजली विभाग के कर्मचारी पिछले 2 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी कर रहे हैं।
इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में भी सुनवाई हुई है और अदालत ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से सुना है।
चंडीगढ़ नगर निगम के सलाहकार धर्मपाल ने हड़ताली कर्मचारियों के साथ बातचीत की है और उनसे हड़ताल खत्म करने के लिए कहा है लेकिन अब तक इस मामले का कोई भी हल नहीं निकला है। बिजली कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें इस बारे में लिखित में आश्वासन चाहिए कि बिजली महकमे का निजीकरण नहीं होगा।
चंडीगढ़ के बड़े इलाके में औद्योगिक कंपनियां भी हैं और बिजली न होने से कंपनियों में भी कामकाज प्रभावित हो रहा है। इसकी वजह से अस्पतालों में भी सर्जरी और ऑपरेशन को टालना पड़ा है।
चंडीगढ़ के ताज़ा हालात के कई वीडियो लोग सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं जिनमें दिख रहा है कि शहर के कई इलाकों में जबरदस्त अंधेरा है और लोगों को इस वजह से काफी परेशानी हो रही है।
चंडीगढ़ पॉवरमेन यूनियन के अध्यक्ष ध्यान सिंह ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि निजीकरण से बिजली दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। आम लोगों को भी इस बात का डर है कि बिजली का निजीकरण होने से बिजली की दरें बढ़ जाएंगी और इसका सीधा असर उनकी जेब पर पड़ेगा।
जारी किया था टेंडर
बीते साल के अंत में खबर आई थी कि चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग की 100 फीसद हिस्सेदारी बेचने के लिए टेंडर जारी किया था। तब यह कहा गया था कि बिजली विभाग के निजीकरण के लिए ट्रस्ट बनाया जाएगा जो सरकारी कर्मचारियों की पेंशन से जुड़ी बातों का ध्यान रखेगा क्योंकि इन सभी कर्मचारियों को प्राइवेट कंपनी में शिफ्ट करना होगा।
तब चंडीगढ़ के बिजली विभाग को खरीदने के लिए 9 कंपनियां आगे आई थीं। इनमें अडानी, टाटा, जीएमआर सहित कई अन्य कंपनियां शामिल हैं।
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