काबुल में स्थित गुरूद्वारे में हथियारबंद लड़ाकों के जबरन घुसने की पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने निंदा की है। हथियारबंद ये लड़ाके काबुल के करते परवान इलाक़े में स्थित गुरूद्वारा दशमेश पिता में घुस गए थे।
उस दौरान गुरूद्वारे में सिख समुदाय के 20 लोग मौजूद थे। हथियारबंदों के गुरूद्वारे में घुसने की यह वारदात बीते शुक्रवार को दिन में 2 बजे हुई थी। इनके बारे में कहा गया था कि ये तालिबान की विशेष यूनिट के लड़ाके हैं।
चन्नी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वह विदेश मंत्रालय को निर्देश दें कि वह सिखों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए इस मामले को अफ़ग़ानिस्तान की हुक़ूमत के सामने उठाए।
जबकि सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि भारत को इस मामले को अंतरराष्ट्रीय फ़ोरम में उठाना चाहिए। पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री बादल ने कहा कि किसी भी देश को तालिबान को मान्यता नहीं देनी चाहिए।
इंडियन वर्ल्ड फ़ोरम के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंडोक ने कहा था कि हथियारबंद लड़ाकों ने वहां मौजूद सिख समुदाय के लोगों को डराया-धमकाया था। चंडोक का कहना है कि सिख समुदाय के लोगों ने फ़ोन कर अपने हालात के बारे में उन्हें बताया है और यह बेहद परेशान करने वाला है।
चंडोक ने बताया था कि धमकाने के अलावा हथियारबंद लोगों ने इस जगह को लेकर अपशब्द भी कहे थे और वे गुरूद्वारे के साथ ही इससे सटे हुए स्कूल के बाहर भी लगातार गश्त कर रहे हैं।
10 दिनों में दूसरा वाकया
बीते 10 दिनों में यह ऐसा दूसरा वाकया है। 5 अक्टूबर को भी हथियारबंद लोग गुरूद्वारे के अंदर घुस गए थे और उन्होंने गुरूद्वारे के परिसर में तोड़फोड़ की थी। इन लोगों ने सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया था और गुरूद्वारे में तैनात सुरक्षा कर्मियों को भी धमकाया था। तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह घटना भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लिए चिंता का सबब है।
शुक्रवार को ही कंधार की शिया मसजिद में बम धमाके हुए थे, जिसमें 47 लोग मारे गए थे और 70 लोग घायल हो गए थे। ये धमाके जुमे की नमाज़ के दौरान मसजिद में हुए थे।
अमेरिकी और नाटो सेनाओं के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने से पहले तालिबान ने भरोसा दिलाया था कि वह मुल्क़ के सभी समुदायों की हिफ़ाजत करेगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
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