पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
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कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे और इसके साथ ही वह अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस यानी पीएलसी का भी बीजेपी में विलय कर देंगे।
अमरिंदर सिंह इन दिनों लंदन में इलाज करा रहे हैं और वहां से लौटने के बाद वह इस फैसले को अमलीजामा पहनाएंगे।
बीजेपी पंजाब में मजबूती से पांव जमाने की कोशिश कर रही है और बीते कुछ दिनों में उसने कांग्रेस, अकाली दल के कई बड़े नेताओं को अपने साथ मिलाया है।
अमरिंदर सिंह ने बीते साल कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई थी और बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि अमरिंदर सिंह को कोई सफलता नहीं मिली लेकिन कांग्रेस की पंजाब में बेहद करारी हार हुई।
इस बारे में अमरिंदर सिंह के राजनीतिक सचिव मेजर अमरदीप ने लंदन से द इंडियन एक्सप्रेस से कहा- देखिए और इंतजार कीजिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 जून को अमरिंदर सिंह को फोन किया था और उनकी सेहत के बारे में जानकारी ली थी।
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हरदीप ग्रेवाल ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पीएलसी का बीजेपी के साथ विलय का फैसला अमरिंदर सिंह के इलाज के लिए लंदन जाने से पहले ही हो चुका था और जैसे ही पूर्व मुख्यमंत्री लंदन से लौटेंगे, इस बारे में औपचारिक एलान कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी और अमरिंदर सिंह की राष्ट्रवादी विचारधारा है।
80 साल के अमरिंदर सिंह हालांकि बुजुर्ग हो चुके हैं लेकिन लंबे वक्त तक पंजाब का मुख्यमंत्री रहने की वजह से उनका एक बड़ा सियासी कद राज्य की राजनीति में है। अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर अभी भी पटियाला से कांग्रेस की सांसद हैं। अमरिंदर सिंह की बेटी जयइंदर कौर सक्रिय राजनीति में उतर चुकी हैं।
बीजेपी धड़ाधड़ पंजाब में बड़े हिंदू व सिख चेहरों को पार्टी में शामिल कर रही है। उसकी नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है जहां वह सभी सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ना चाहती है।
राजकुमार वेरका, सुंदर शाम अरोड़ा पंजाब में कांग्रेस का बड़ा हिंदू चेहरा माने जाते थे। इसी तरह सुनील जाखड़ भी पंजाब कांग्रेस के बड़े हिंदू चेहरे थे। पंजाब में 38 फीसद हिंदू आबादी है और बीजेपी की कोशिश है कि कांग्रेस की करारी हार के बाद वह हिंदू वोटों के बड़े हिस्से को अपने पाले में ले आए। साथ ही वह मजबूत सिख नेताओं को भी पार्टी से जोड़ने के काम में जुटी हुई है।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पंजाब में बुरी तरह हारी। उसके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से चुनाव हारे जबकि प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी सीट नहीं बचा सके। इसके अलावा भी कई बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
दूसरी ओर, सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के लिए भी शुरुआती महीने बेहद खराब रहे हैं। पाकिस्तान से नशे की तस्करी, खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमला, सिद्धू मूसेवाला की हत्या, लुधियाना में हिंदू-सिख संगठनों के बीच झड़प, ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर खालिस्तान समर्थकों का जुलूस ऐसे मामले हैं जिन्होंने भगवंत मान सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है।
संगरूर के उपचुनाव में मुख्यमंत्री भगवंत मान की सीट पर मिली हार से भी आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हैं।
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