गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले में सुखबीर बादल को बड़ा झटका लगा है। सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त ने सुखबीर बादल को 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम का पक्ष लेने के लिए दोषी माना है। इसने सुखबीर बादल को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर सहित कई गुरुद्वारों के रसोई और बाथरूम की सफाई करने की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उनके पिता दिवंगत प्रकाश सिंह बादल से फ़ख़्र-ए-क़ौम यानी 'सिख समुदाय का गौरव' सम्मान वापस ले लिया गया है। यह सम्मान समुदाय के लिए सेवाओं के लिए उन्हें 2011 में दिया गया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को लेकर यह फ़ैसला सिखों के सर्वोच्च धार्मिक प्राधिकरण अकाल तख्त ने सुनाया है। यह धार्मिक सजा 2015 में विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को माफ़ी देने सहित 'गलत राजनीतिक निर्णय' लेने के लिए दी गई है।
बता दें कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने चार अन्य उच्च पुजारियों के साथ मिलकर क़रीब तीन महीने पहले 30 अगस्त को सुखबीर बादल को 'तन्खैया' यानी धार्मिक कदाचार का दोषी घोषित किया था।
सज़ा के तौर पर सुखबीर बादल और उनके 2015 के पंजाब मंत्रिमंडल के नेताओं को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 'सेवा' करने का निर्देश दिया गया है। इसमें शौचालय साफ करना, बर्तन धोना और अपने किए का प्रायश्चित करने के लिए अन्य धार्मिक कार्य करना शामिल है।
अकाल तख्त के फ़ैसले के अनुसार 2015 में कैबिनेट सदस्य रहे सुखबीर बादल 3 दिसंबर को दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शौचालय साफ करेंगे। इसके बाद वे स्नान करेंगे और लंगर चलाएंगे।
अकाल तख्त द्वारा यह सजा तब सुनाई गई जब बादल ने अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए अकाल तख्त से बिना शर्त माफी मांगी थी।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह के नेतृत्व में एसएडी कार्यसमिति से पार्टी प्रमुख के रूप में बादल के इस्तीफे को स्वीकार करने और छह महीने के भीतर पार्टी को पुनर्गठित करने के लिए एक पैनल बनाने को कहा।
अकाल तख्त द्वारा कई दिनों तक चली कार्यवाही के बाद यह निर्देश जारी किए गए। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार सुखबीर बादल ने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दी गई विवादास्पद माफी में भूमिका निभाने की बात स्वीकार की। इसकी सिख समुदाय में व्यापक आलोचना हुई। धार्मिक हितों और अकाल तख्त साहिब की 'मान-मर्यादा' को देखते हुए एसएडी कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से पंजाब में चार विधानसभा सीटों के लिए हाल ही में हुए उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।
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