पंजाब चुनाव से पहले जिस तरह से मुफ़्त में बाँटने की घोषणाएँ की जा रही हैं उससे पंजाब को कितनी क़ीमत चुकानी पड़ेगी, क्या इसका अंदाज़ा राजनीतिक दलों को होगा? 2021-22 के बजट का अनुमान है कि बकाया कर्ज 2.82 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। अब इसके बाद मुफ़्त में हज़ारों करोड़ रुपये बांट देने पर राज्य किस स्थिति में पहुँच जाएगा!
ये सवाल इसलिए तब जोर शोर से उठने लगे जब आम आदमी पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा कर दी कि यदि आप की सरकार बनेगी तो पार्टी राज्य की 18 वर्ष से ज़्यादा उम्र की सभी महिलाओं को प्रति महीने 1000 रुपये देगी। यदि पूरे राज्य में महिलाओं की संख्या के हिसाब से इसका आकलन किया जाए तो यह बहुत बड़ी रकम होती है।
यदि आम आदमी पार्टी की सरकार बनती है और इस योजना को शुरू किया जाता है तो राजस्व पर इसका बड़ा भार आएगा। आम आदमी पार्टी ने ही अनुमान लगाया है कि इस योजना से 1 करोड़ महिलाओं को लाभ हो सकता है। चुनाव आयोग के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान ही पंजाब में 96.19 लाख महिला मतदाता थीं। अब यदि एक करोड़ महिलाओं को ही 1000 रुपये प्रति महीने दिए जाते हैं तो प्रति वर्ष 12,000 करोड़ रुपये का राज्य सरकार पर भार आएगा।
हालाँकि इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का तर्क भी उतना ही सपाट है। उन्होंने कहा है कि उनके विरोधी पूछेंगे कि कार्यक्रम के लिए पैसा कहां से आएगा। उन्होंने कहा, 'किसी भी सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, बस ज़रूरत है लोगों के लिए काम करने की नीयत की।'
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में प्रभावी बकाया ऋण सकल राज्य घरेलू उत्पाद 5.74 लाख करोड़ रुपये का 39.90 प्रतिशत था। 2021-22 के लिए अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद 6.07 लाख करोड़ रुपये का 45% है।
2021-22 के बजट अनुमानों में किसानों, विभिन्न श्रेणियों के उद्योगों और दलित समुदाय के लोगों को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी के कारण पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड का सरकार पर बकाया 10,621 करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है।
2019-20 में बिजली बिल का यह बकाया राज्य सरकार पर 9,394 करोड़ रुपये से ऊपर था।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस महीने की शुरुआत में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में 3 रुपये की कटौती की घोषणा की है। इससे सरकारी खजाने पर 3,300 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
इस महीने की शुरुआत में चन्नी ने पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 5 रुपये की वैट कटौती की भी घोषणा की। केंद्र ने भी उत्पाद शुल्क में कटौती की है। इससे प्रति वर्ष क़रीब 3,300 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।
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