वैसे तो संसद या विधानमंडल के किसी भी सदन की किसी भी खाली सीट के लिए उपचुनाव होना एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन मध्य प्रदेश की 28 सीटों के लिए के लिए हुए उपचुनाव देश के संसदीय लोकतंत्र की एक अभूतपूर्व और ऐतिहासिक घटना है। इसलिए कि इससे पहले किसी राज्य में विधानसभा की इतनी सीटों के लिए कभी एक साथ उपचुनाव नहीं हुए।