यूपी में होर्डिंग के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कुछ लोगों को निराशा हो सकती है। नागरिकता क़ानून का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं के होर्डिंग यूपी सरकार ने फ़ोटो और पते समेत लगा दिये हैं। इलाहाबाद के फ़ैसले के ख़िलाफ़ योगी सरकार सर्वोच्च अदालत गयी थी। अदालत ने मामले की सुनवायी के लिए बड़ी बेंच बनाने की बात कही है। हाईकोर्ट ने 16 मार्च तक होर्डिंग हटाने का आदेश दिया था।
होर्डिंग मामला: सुप्रीम कोर्ट के ‘अस्पष्ट’ फ़ैसले का फ़ायदा उठा रही है योगी सरकार
- विचार
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- 15 Mar, 2020

यूपी में होर्डिंग के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने न यह कहा कि अदालती आदेश पर रोक लगाई जाए, न ही यह कहा कि उसका पालन किया जाए। इसने साथ में एक टिप्पणी भी कर दी कि ‘राज्य में ऐसा कोई क़ानून नहीं है जिसके तहत सरकार को ऐसे होर्डिंग लगाने का अधिकार मिलता हो’। योगी सरकार को यह मौक़ा मिल गया कि वह ऐसा क़ानून ले आए और वह ले आई।
राज्य सरकार हाई कोर्ट के आदेश का पालन इसलिए नहीं कर रही कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच के पास गया तो उसने हाई कोर्ट के फ़ैसले पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दिया था। न तो उसने कहा कि अदालती आदेश पर रोक लगाई जाए, न ही यह कहा कि उसका पालन किया जाए। उसने मामला तीन जजों की बेंच को सौंपने का आदेश दे दिया जिसका गठन अगले सप्ताह किया जाना है।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश