दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुँह की खाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पार्टी के कुछ नेताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह की नफ़रती भाषा का इस्तेमाल किया, संभव है, उससे पार्टी को नुक़सान हुआ हो। अमित शाह न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ के एक कार्यक्रम में चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए नफ़रती भाषणों पर पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे (ख़बर पढ़ें)।
भड़काऊ भाषणों से बीजेपी को दिल्ली में नुक़सान नहीं, फ़ायदा हुआ है
- विचार
- |
- |
- 15 Feb, 2020

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद अमित शाह का बयान आया है कि संभव है कि नफ़रती भाषा के इस्तेमाल से पार्टी को नुक़सान हुआ हो। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हुआ है? नहीं, क्योंकि बीजेपी के आक्रामक प्रचार के कारण उसे दिल्ली में 1993 के बाद सबसे ज़्यादा वोट मिले हैं और प्रचार के आख़िरी तीन हफ़्तों में उसके जन-समर्थन में 10% से भी ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
ध्यान दीजिए, अमित शाह यह नहीं कह रहे हैं कि पार्टी को अपशब्दों के कारण नुक़सान हुआ है। वे कह रहे हैं, संभव है नुक़सान हुआ हो। यानी वह ख़ुद भी संशय में हैं कि अपशब्दों का पार्टी को लाभ हुआ है, नुक़सान हुआ है या कोई असर नहीं हुआ है।
संशय इसलिए कि पार्टी के बड़े तबक़े का मानना है कि यदि बीजेपी इन चुनावों में इतनी आक्रामक नहीं हुई होती और उसके नेताओं ने इतनी गंदी भाषा का प्रयोग नहीं किया होता तो उसका और भी बुरा हाल होता। यानी जो 38% वोट और 8 सीटें मिली हैं, वे भी नहीं मिली होतीं।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश