जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का समय नज़दीक आता जा रहा है, देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास भी तेज़ कर दिए गए हैं। कहीं धर्म विशेष के व्यक्ति के साथ मॉब लिंचिंग की घटना घटित हो रही है तो कहीं किसी को तस्करी के आरोप में फँसाया जा जा रहा है। कहीं गौ तस्करी या गौ हत्या के प्रयास के नाम पर हिंसा की जा रही है, कहीं किसी की दाढ़ी जबरन काटी जा रही है तो कहीं मस्जिदें ढहाई जा रही हैं। गोया देश में सोची-समझी रणनीति के तहत नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है और कोरोना के भयावह परिणामों से क्षुब्ध जनता को एक बार फिर अपने पक्ष में संगठित किया जा सके।
मुसलमान बनाने से ज़्यादा ज़रूरी है एक अच्छा इन्सान बनना-बनाना
- विचार
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- 27 Jun, 2021

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले पुलिस ने कथित 'धर्म परिवर्तन रैकेट' का खुलासा किया है। क्या इसके पीछे कुछ भी सच्चाई है और क्या मुसलिम धर्म जबरन धर्मांतरण की इजाज़त देता है?
सत्ता के इन प्रयासों को प्रचारित कर घर-घर पहुँचाने का काम भी बड़े ही सुनियोजित तरीक़े से मीडिया विशेषकर अधिकांश बिकाऊ टीवी चैनलों द्वारा किया जा रहा है। पिछले दिनों इसी तरह का एक और ज्वलंत मुद्दा सरकार व गोदी मीडिया के हाथ लगा जिसे 'धर्म परिवर्तन रैकेट' का नाम दिया जा रहा है। इस सिलसिले में मोहम्मद उमर गौतम और मुफ़्ती काज़ी जहांगीर आलम क़ासमी नामक दो व्यक्तियों को गिरफ़्तार करने के बाद आनन-फ़ानन में कई गंभीर इलज़ाम भी लगाए जा चुके हैं। जैसे कि उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार ये धर्मगुरु एक बड़ी साज़िश के तहत पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के अतिरिक्त अन्य कई देशों से धर्म परिवर्तन करने हेतु पैसे लिया करते थे।