कांग्रेस प्रशांत किशोर (पीके) की समस्या से आज़ाद हो गई है। पार्टी ने तय किया है कि अपना घर ठीक करने के किए उसे किसी भी बाहरी विशेषज्ञ की ज़रूरत नहीं है। उसके पास अपने ही अनुभवी नेताओं की बड़ी फ़ौज है। प्रशांत एपिसोड के पटाक्षेप के बाद पार्टी के सेवेंटी-प्लस योद्धाओं में उत्साह की लहर है कि उनकी मेहनत आख़िरकार रंग ले लाई और वे चर्चित रणनीतिकार को ग्रांड ओल्ड पार्टी से बाहर रखने में कामयाब हो गए।
प्रशांत किशोर और कांग्रेस की बातचीत क्यों टूटी?
- विचार
- |
- |
- 29 Mar, 2025

वैसे यह मान लेना भी जल्दबाज़ी करना होगा कि कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर अध्याय अंतिम रूप से समाप्त हो गया है। किसी दिन फिर से यह ख़बर आ सकती है कि प्रशांत किशोर एक बार फिर दस जनपथ के दरबार में परिवार के साथ बातचीत करने पहुँच गए हैं।
इस बात की पहले से ही आशंका व्यक्त की जा रही थी कि एक सौ सैंतीस साल बूढ़ी पार्टी को पैंतालीस की उमर के प्रशांत किशोर की ज़रूरत हो ही नहीं सकती। मामला राहुल और प्रियंका के तैयार होने का नहीं बचा था जिन्हें कि सबसे ज़्यादा आपत्ति होनी चाहिए थी पर नहीं हुई। दिक़्क़त उन तमाम बुजुर्गों को थी जिनके हाथ अभी भी पार्टी और भविष्य में बन सकने वाली सरकारों का नेतृत्व करने के लिए कांप रहे हैं। इन नेताओं के तो बेटे-बेटियाँ भी अब प्रशांत किशोर की उमर के हो गए हैं।