हुकूमत अगर बहुसंख्यक वर्ग के कट्टरपंथी दंगाइयों के साथ खड़ी नज़र आती हो तो लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों की रक्षा की ज़िम्मेदारी किसे निभानी चाहिए? असग़र वजाहत एक जाने-माने उपन्यासकार, नाटककार और कहानीकार हैं। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘’जिन लाहौर नई वेख्या, ओ जन्मयाई नई’ (1990) का दुनिया के कई देशों में मंचन हो चुका है।
हाल में घटी साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं के सिलसिले में असग़र ने ‘’हिंदू-मुसलिम सद्भावना और एकता के लिए कुछ विचारणीय बिंदु’ शीर्षक से बहस के लिए एक महत्वपूर्ण नोट अपने फ़ेस बुक पेज पर शेयर किया है। नोट में उल्लेखित दस बिंदुओं में बहस के लिहाज़ से दो बिंदु ज़्यादा महत्व के हैं: पहला और अंतिम।
मुसलमानों के अधिकारों की लड़ाई क्या हिंदू लड़ेगा?
- विश्लेषण
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- 25 Apr, 2022

असग़र वजाहत जिन सेकुलर और डेमोक्रेटिक हिंदुओं की बात कर रहे हैं उनमें अधिकांश मुसलमानों के नुमाइंदों के तौर पर सम्भ्रांत मुसलिमों की ओर से और दलितों के प्रतिनिधियों के रूप में दलितों की तरफ़ से मंत्रिमंडलों में शामिल सुविधाभोगी पिछड़े नेताओं की तरह हो गए हैं।