हमारा सर्वोच्च न्यायालय अब नेताओं से भी आगे निकलता दिखाई दे रहा है। उसने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे बताएँ कि सरकारी नौकरियों में जो आरक्षण अभी 50 प्रतिशत है, उसे बढ़ाया जाए या नहीं? कौन राज्य है, जो यह कहेगा कि उसे न बढ़ाया जाए? सभी नेता और पार्टियाँ वोट और नोट की ग़ुलाम होती हैं। लगभग आधा दर्जन राज्यों ने 1992 में अदालत द्वारा बांधी गई आरक्षण की सीमा (50 प्रतिशत) का उल्लंघन कर दिया है। महाराष्ट्र में तो सरकारी नौकरियों में 72 प्रतिशत आरक्षण हो गया है।
अब जाति आधारित आरक्षण ख़त्म हो!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

देश के 100 करोड़ वंचितों को ऊपर उठाने की चिंता इन लोगों को उतनी ही है, जितनी परंपरागत सवर्ण वर्ग को है। यदि हम भारत को सबल और संपन्न बनाना चाहते हैं तो इन 100 करोड़ लोगों को आगे बढ़ाने की चिंता हमें सबसे पहले करनी चाहिए। उसके लिए ज़रूरी है कि आरक्षण जाति के नहीं, ज़रूरत के आधार पर दिया जाए और नौकरियों में नहीं, शिक्षा और चिकित्सा में दिया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय से उम्मीद थी कि वह इस बेलगाम जातीय आरक्षण पर कठोर अंकुश लगाएगा बल्कि जातीय आरक्षण को असंवैधानिक घोषित करेगा।