उत्तराखंड में बीजेपी ने अपने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को क्यों बदला? उनकी जगह तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री क्यों बनाया? तीरथ सिंह विधायक भी नहीं हैं, सांसद हैं, फिर भी उन्हें क्यों लाया गया? एक रावत की जगह दूसरे रावत को क्यों लाया गया? इन सवालों के जवाब जब हमें ढूंढेंगे तो उनमें से बीजेपी ही नहीं, देश के सभी दलों के शीर्ष नेताओं के लिए कई सबक निकलेंगे।
त्रिवेंद्र रावत का जाना- नेताओं के लिए सबक
- विचार
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- 13 Mar, 2021

त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड के आम नागरिकों की गुहार पर कान देना तो बंद कर ही दिया था, वे बीजेपी के अपने विधायकों की भी उपेक्षा करने लगे थे। ये बीजेपी विधायक इसलिए भी परेशान थे कि कांग्रेस से आए कुछ विधायकों को मंत्री बना दिया गया लेकिन बीजेपी विधायकों को यह मौका नहीं दिया गया जबकि तीन मंत्रिपद खाली पड़े रहे।
सबसे पहला सबक तो यही है कि किसी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री को यह नहीं समझ बैठना चाहिए कि वह शासक है यानी वह बादशाह बन गया है। सारे सांसदों, विधायकों और जनता को उसकी हुकुम उदुली करनी ही है। मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही खुद को देश का प्रधान सेवक कहा था। यही कसौटी है। हर पदारुढ़ नेता को चाहिए कि वह अपने को इसी कसौटी पर कसता रहे।