कांग्रेस अपने गठन के बाद से सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। 2014 में केंद्र की सत्ता से बेदख़ल होने के बाद से कांग्रेस लगातार एक के बाद एक राज्यों के विधानसभा चुनाव हारी है। वो गिने-चुने राज्यों में ही चुनाव जीत पाई है। हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस के बेहद निराशाजनक प्रदर्शन के बाद तो कांग्रेस की हालत और भी ज़्यादा ख़राब हो गई है। पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों में चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदारी को लेकर मारामारी थी। चुनाव के नतीजे आने के बीस दिन बाद भी कांग्रेस सिर फुटव्वल के चलते इन राज्यों में विधायक दल के नेता तक नहीं चुन पाई है।
हार की हताशा से कब बाहर निकलेगी कांग्रेस?
- विचार
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- 2 Apr, 2022

केंद्र और ज़्यादातर राज्यों में लगभग 50 साल सत्ता में रही कांग्रेस आज सिर्फ़ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमट कर क्यों रह गई है?
क्या है कांग्रेस की हालत?
लगातार हार झेल रही कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में हताशा और निराशा अपने चरम पर है। दरअसल, केंद्र और ज़्यादातर राज्यों में लगभग 50 साल सत्ता में रही कांग्रेस आज सिर्फ़ दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमट कर रह गई है। सिर्फ़ इन दो राज्यों में ही कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है। तीन अन्य राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु और झारखंड में वो छोटे हिस्सेदार के रूप में सरकार में शामिल है।
543 सदस्यों वाली लोकसभा में कांग्रेस के महज़ 53 सदस्य हैं। 2014 और 2019 के लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इतनी सीटें भी नहीं जीत पाई कि उसके नेता को आधिकारिक रूप से ‘नेता विपक्ष’ का दर्जा मिल सके। इसके लिए कम से कम 55 सीटें जीतना ज़रूरी है। 2014 में जहां कांग्रेस 44 सीटें जीत पाई थी वहीं 2019 में वो महज़ 53 सीटों पर ही सिमट कर रह गई। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ़ 34 सीटें हैं। देश भर की 4,036 विधानसभा सीटों में से उसके के पास सिर्फ़ 678 सीटें हैं। वहीं विभिन्न राज्यों की विधान परिषदों की 426 सीटों में से कांग्रेस के पास सिर्फ 43 सीटें हैं।