3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया गाँव में बर्बरतापूर्वक एक पत्रकार रमन कश्यप सहित चार किसानों को तेज रफ्तार कार से कुचलकर मार दिया गया। इसकी प्रतिक्रिया में हुई हिंसा में तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। तीनों मृतक अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के नजदीकी थे।

किसान आंदोलन को शुरुआती दौर से ही बदनाम करने की कोशिश की जाती रही है। सबसे पहले इसे आढ़तियों और बिचौलियों का आंदोलन कहा गया। सिर्फ पिज्जा और हलवा की तसवीरें दिखाकर कहा गया कि कुछ अमीर किसान यहां पिकनिक मनाने के लिए आए हैं।
इस घटना के बाद तराई के इलाके में बहुत तनाव व्याप्त हो गया था। इसलिए राकेश टिकैत ने मौके पर पहुंचकर योगी सरकार के आला अधिकारियों के साथ मिलकर फौरी तौर पर एक समझौता करके हालात को संभाला।
मुआवजा, नौकरी, आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी और गृह राज्य मंत्री की बर्खास्तगी की शर्त पर हुए समझौते के बाद मृत किसानों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।