प्रियंका गांधी ने आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में 40 फ़ीसदी टिकट महिलाओं को देने का एलान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका वश चलता तो यह आंकड़ा 50 फीसदी हो सकता था। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि आने वाले समय में 50 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे।

पिछली लोकसभा में 11 फ़ीसदी महिलाएं चुनकर संसद पहुंची थीं। वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों की तादाद बढ़कर 14 फ़ीसदी हो गई है। लेकिन महिला उत्पीड़न, कुपोषण से लेकर सुरक्षा और निजी जिंदगी के फैसलों पर संसद में खामोशी पसरी है। संसद में महिलाओं का ऐसा प्रतिनिधित्व बेमानी है!
प्रियंका गांधी का एलान क्या राजनीतिक विमर्श को बदल सकता है? इस एलान का अन्य राजनीतिक दलों पर क्या प्रभाव होगा? महिला मतदाताओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? आखिरकार यूपी चुनाव परिणाम पर इसका कितना असर होगा?
भारतीय समाज परंपरागत रूप से पितृसत्तात्मक रहा है। परिवार के फैसलों में आज भी सबसे वरिष्ठ पुरुष का निर्णय अंतिम माना जाता है। स्त्री की पराधीनता की शुरुआत प्राचीन भारत में ही हो गई थी।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।