बीएसपी संस्थापक कांशीराम के 15वें निर्वाण दिवस पर लखनऊ में आयोजित रैली में दो लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे। माना जाता है कि यूपी में सबसे ज्यादा भीड़ जुटाने का माद्दा आज भी मायावती के पास है। बीजेपी के अलावा यूपी में बीएसपी ही कैडर आधारित पार्टी है। बीएसपी में सर्वमान्य सुप्रीमो मायावती के कार्यकर्ता बहुत अनुशासित हैं। मायावती की अपील उनके लिए मसीहा का हुकुम माना जाता है।

2007 में 206 सीटें जीतकर बीएसपी को पूर्ण बहुमत मिला। मायावती चौथी बार सूबे की मुख्यमंत्री बनीं। बहुजन छोड़कर सर्वजन की बात करने वालीं मायावती ने 2012 के चुनाव में हारने के बाद सत्ता पाने के लिए अपनी वैचारिक जमीन त्याग दी।
हालांकि अपने गठन (1984) से लेकर बीएसपी में अब तक बहुत परिवर्तन आ चुका है। दलित अस्मिता की आक्रामक राजनीति करने वाली बीएसपी पिछले सात साल से सुरक्षात्मक मुद्रा में हैं।
मायावती पर आरोप लगता है कि उन्होंने लोगों के बीच उनके मुद्दों को उठाकर संघर्ष करने की राजनीति से पल्ला झाड़ लिया है। बावजूद इसके उनके यहां टिकट लेने वालों की कतार लगी रहती है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।