सभी धर्मों व विश्वास के मानने वाले वैसे तो अपने परिवार द्वारा संस्कारित व पैतृक विरासत में प्राप्त होने वाले अपने अपने धर्मों-विश्वासों-परंपराओं व रीति रिवाजों का ही अनुसरण करते हैं व उसी धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ बताते हैं। सभी कहते हैं कि उन्हीं का धर्म, विश्वास व पंथ मानवता, दया, करुणा, परोपकार, प्रेम, सहृदयता, सेवा व सत्कार जैसे अनेकानेक गुणों का मार्ग दिखाता है। और निश्चित रूप से प्रत्येक धर्मों में अनेकानेक ऐसे धर्मगुरु भी हुए हैं और अब भी हैं जो धर्म की अच्छाइयों को प्रचारित प्रसारित कर एक अच्छा, मानवतावादी, सज्जन व धर्मभीरु धर्मावलंबी तैयार भी करते हैं।