''उनकी अपील है कि उन्हें हम मदद करें,

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संसद सत्र अपना अलग ही महत्व है और इसको फलदायी बनाया जाना चाहिए तो क्या वह इसके प्रति इतने गंभीर हैं?
चाकू की पसलियों से गुजारिश तो देखिए।’’
दुष्यंत कुमार के इसी शेर की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष से सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि संसद के बजट सत्र को फलदायी बनाना चाहिए। सत्र के पहले दिन उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव का महत्व अपनी जगह है और वह प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन पूरे वर्ष का खाका खींचने वाला, संसद का बजट सत्र बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री की इस अपील से ऐसा लगता है मानो वे संसद और बजट को लेकर बहुत गंभीर हैं, जबकि हकीकत यह है कि जब भी संसद का सत्र चल रहा होता है तो प्रधानमंत्री खुद ही आमतौर पर संसद से नदारद रहते हैं। उनकी सरकार महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस कराने की विपक्ष की मांग को ठुकरा देती है और हंगामे के बीच महत्वपूर्ण विधेयक बिना बहस के पारित करा लिए जाते हैं।