देश में सत्ता-प्रेरित सांप्रदायिक नफ़रत से बनते गृहयुद्ध के हालात, शक्तिशाली पड़ोसी देश द्वारा देश की सीमाओं का अतिक्रमण और उस पर हमारी चुप्पी, अर्थव्यवस्था का आधार माने जाने वाली खेती-किसानी पर मंडराता संकट, ध्वस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था और कोरोना वायरस की तीसरे दौर की महामारी से मची अफरातफरी के माहौल के बीच अपने गणतंत्र के 73वें वर्ष में प्रवेश करते वक़्त हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता की बात क्या हो सकती है या क्या होनी चाहिए?