नागरिकता संशोधन बिल जिसे अंग्रेज़ी में सिटिज़नशिप अमेंडमेंट बिल (CAB या कैब) कहा जाता है, उसका संसद से लेकर सड़क तक भारी विरोध हो रहा है। संसद में तो जो होना था, हो चुका क्योंकि दोनों सदनों ने बहुमत के साथ इसे पास कर दिया है और राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह क़ानून भी बन चुका है लेकिन सड़कों पर हालात गंभीर हैं। पूरे उत्तर-पूर्व में हिंसा फैली हुई है और कई ज़िलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि संसद के अंदर कांग्रेस और उसके सहयोगी इस बिल का जिस कारण से विरोध कर रहे थे, वह असम और दूसरे उत्तर-पूर्वी राज्यों में हो रहे जन प्रतिरोध से बिल्कुल अलग, बल्कि उल्टा है।
CAB: मोदी जी! क्या ठंड से काँपते बच्चे की मदद से पहले उसका धर्म पूछेंगे?
- विचार
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- 13 Dec, 2019

प्रधानमंत्री मोदी ने नागरिकता संशोधन बिल के पारित होने का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे भारत ने अपनी ‘करुणा और भाईचारे के राष्ट्रीय संस्कारों’ का प्रदर्शन किया है। अच्छी बात है। लेकिन उनकी इसी बात पर मैं उनसे और आपसे भी एक सवाल पूछना चाहूँगा। अगर आपको अपने घर के बाहर चार-पाँच साल का कोई बच्चा ठंड से ठिठुरता हुआ दिख जाए तो आप उसे अपने बेटे का पुराना स्वेटर देने से पहले क्या यह सोचेंगे कि वह किस धर्म या जाति का है?
आगे बढ़ने से पहले संक्षेप में समझ लें कि यह बिल है क्या। नागरिकता संशोधन बिल दरअसल भारत के तीन पड़ोसी देशों- पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश- के उन अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान करता है जो वहाँ धार्मिक कारणों से सताए जाने के कारण भारत आ गए हों और यहाँ कम-से-कम पिछले पाँच सालों से रह रहे हों। लेकिन इसमें पेच यह है कि यदि इन देशों से आने वाला विदेशी मुसलमान हो तो उसे भारत की नागरिकता नहीं मिलेगी।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश