देश के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध के बीच पंजाब और केरल की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस क़ानून को लागू नहीं होने देंगे।
सरकार एनआरसी लाकर लगातार घुसपैठियों को देश से भगाने का दावा करती रही तो अब नागरिकता देने की बात क्यों? सरकार ने एनआरसी से कितने घुसपैठियों को बाँग्लादेश भेजा? अब नागरिकता विधेयक क्यों? अब जब असम जल रहा है तो सरकार क्या कर रही है? क्या बंदूक़ की गोली इसका जवाब हो सकती है? देखिए आशुतोष की बात।
अगर आपको अपने घर के बाहर चार-पाँच साल का कोई बच्चा ठंड से ठिठुरता हुआ दिख जाए तो आप उसे अपने बेटे का पुराना स्वेटर देने से पहले क्या यह सोचेंगे कि वह किस धर्म या जाति का है?
नागरिकता संशोधन विधेयक के पास होने के बाद और असम सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों में विरोध प्रदर्शन के बीच बाँग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन ने अपना भारत का दौरा रद्द कर दिया है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में गुवाहाटी सहित क़रीब-क़रीब पूरा असम जल रहा है, लेकिन असम के ही बराक घाटी में इसका विरोध नहीं, बल्कि स्वागत किया जा रहा है।
धर्म के आधार पर लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक क्या संविधान का उल्लंघन नहीं है? क्या संविधान में धर्म के आधार पर किसी क़ानून बनाने की इजाज़त है? ऐसे में संसद से मंज़ूरी मिलना क्या संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं है? सत्य हिंदी पर देखिए इन सवालों के जवाब आशुतोष की बात में।
भारत के नागरिकता विधेयक पर दुनिया भर में बहस क्यों हो रही है? क्या इसलिए कि इस विधेयक में मुसलिमों को बाहर छोड़ देने पर भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि ख़राब होगी? नागरिकता विधेयक पर लंदन के पत्रकार क्या सोचते हैं? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार और ब्रिटेन में भारतीय पत्रकार संघ के अध्यक्ष नरेश कौशिक के साथ चर्चा।
नागरिकता विधेयक को लेकर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने अमित शाह पर प्रतिबंध लगाने की बात क्यों की? यदि अमेरिका ऐसी कोई कार्रवाई करता है तो क्या वह शाह का वीज़ा रद्द करेगा? आख़िर नागरिकता पर अमेरिकी संस्था को क्या है परेशानी? देखिए शीतल के सवाल में वरिष्ठ पत्रकार शैलेश और क़ानूनी मामलों के जानकार व सुप्रीम कोर्ट के वकील राकेश कुमार सिन्हा से चर्चा।
नागरिकता संशोधन विधेयक पर चौतरफ़ा घिरे गृह मंत्री अमित शाह को अब अमेरिका से भी तगड़ा झटका लगा है। एक अमेरिका आयोग ने कहा है कि यह विधेयक 'ग़लत दिशा में एक ख़तरनाक मोड़' है।
नागरिकता संशोधन विधेयक धर्म के आधार पर नागरिकता की वकालत क्यों? हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को तो नागरिकता देने की बात की गई है, लेकिन मुसलिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है? आख़िर मोदी-शाह यह विधेयक क्यों लेकर आए? सत्य हिंदी पर देखिए शैलेश की रिपोर्ट।