कर्नाटक उपचुनावों के नतीजे चौंकाने वाले हैं। चौंकाने वाले इसलिए कि उन 15 सीटों पर जहाँ कोई डेढ़ साल पहले कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के उम्मीदवार विजयी हुए थे, उनमें से 12 में बीजेपी जीत चुकी है। कांग्रेस के नेता डी. के. शिवकुमार ने हार स्वीकार करते हुए कहा है कि इससे पता चलता है कि जनता ने दलबदलुओं को स्वीकार कर लिया है।
कर्नाटक के वोटरों ने दलबदलुओं को सज़ा के बजाय इनाम क्यों दिया?
- विचार
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- 9 Dec, 2019

कर्नाटक के उपचुनाव परिणाम भारत की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत लेकर आए हैं। किसी राज्य में व्यापक स्तर पर यह पहली बार हुआ है कि वहाँ के वोटरों ने पद और पैसे के लालच में दलबदल करने वाले विधायकों को दंडित करने के बजाय उनको फिर से जिता दिया है। लेकिन ऐसा उन्होंने क्यों किया? एक त्वरित विश्लेषण।
शिवकुमार ने जो बात कही है, वह एक बड़ा संकेत है आज की और आने वाले दिनों की राजनीति के बारे में। क्या इन परिणामों का यह मतलब निकाला जाए कि राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र में जिस दलबदल को नैतिक दृष्टि से बुरा समझा जाता है, वह भारतीय वोटर, ख़ासकर कर्नाटक के वोटर की दृष्टि में बुरा नहीं है?
पहली नज़र में यही लगता है लेकिन कर्नाटक के इन 12 चुनाव क्षेत्रों में जहाँ बीजेपी विजयी रही है, वहाँ के वोटरों के इस व्यवहार के पीछे कुछ और कारण भी हो सकते हैं।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश